नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) नौ ऐसे भारतीय शैक्षणिक संस्थानों की लिस्ट में शामिल हैं, जिन्हें क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) रैंकिंग 2025 में टॉप 50 में रखा गया है।
क्यूएस सब्जेक्ट-वाइज रैंकिंग के 15वें एडिशन में नौ भारतीय विश्वविद्यालय और संस्थान दुनिया के टॉप 50 में शामिल हुए।
भारत ने 55 सब्जेक्ट रैंकिंग में 50 में से टॉप 12 स्थान प्राप्त किए, जिसमें आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी, लाइफ साइंस और मेडिसिन, नेचुरल साइंस और सोशल साइंस और मैनेजमेंट जैसे सब्जेक्ट शामिल थे।
पिछले साल 69 से बढ़कर लगभग 79 भारतीय संस्थानों को दुनिया के टॉप 550 विश्वविद्यालयों में स्थान दिया गया।
चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और कोरिया के बाद देश में नई एंट्री की संख्या भी पांचवें स्थान पर है।
क्यूएस ने एक बयान में कहा, “इस साल की रैंकिंग में कुल 79 भारतीय विश्वविद्यालय, पिछले साल की तुलना में 10 ज़्यादा, 533 बार शामिल हुए हैं, जो पिछले एडिशन की तुलना में 25.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
इसमें इंडिविजुअल सब्जेक्ट में 454 एंट्री और पांच ब्रॉड फैकल्टी एरिया में 79 एंट्री शामिल हैं।”
इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (आईएसएम), धनबाद ने इंजीनियरिंग-मिनरल और माइनिंग के लिए वैश्विक स्तर पर 20वां स्थान प्राप्त किया, जिससे यह देश का सर्वोच्च प्रदर्शन करने वाला सब्जेक्ट एरिया बन गया। पिछले साल, आईएसएम 41वें स्थान पर था।
आईआईटी (आईएसएम) के निदेशक सुकुमार मिश्रा ने एक बयान में कहा, “पिछले साल की तुलना में यह प्रभावशाली सुधार अकादमिक कठोरता और रिसर्च एक्सीलेंस के प्रति हमारे कमिटमेंट को दर्शाता है। हम सफलता की अपनी विरासत को आगे बढ़ाने और भविष्य में और भी अधिक ऊंचाइयों को छूने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।”
इसके अलावा, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के लिए 45वीं रैंक साझा करने वाले आईआईटी दिल्ली और बॉम्बे ने अपनी स्थिति में सुधार करते हुए क्रमशः 26वां और 28वां स्थान प्राप्त किया है।
दोनों संस्थानों ने इंजीनियरिंग-इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक के लिए टॉप 50 की लिस्ट में एंट्री की है।
आईआईएम अहमदाबाद और बैंगलोर बिजनेस फॉर मैनेजमेंट स्टडीज के लिए दुनिया के टॉप 50 में बने रहे। हालांकि, आईआईएम अहमदाबाद की रैंकिंग 22 से 27 और आईआईएम बैंगलोर की रैंकिंग 32 से 40 पर आ गई।
आईआईटी मद्रास और जेएनयू दुनिया के टॉप 50 में बने रहे, लेकिन उनकी रैंकिंग में भी कुछ स्थानों की गिरावट आई।