बच्चों में श्वसन संक्रमण का पता लगाने में लार परीक्षण अधिक सटीक

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नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। एक शोध में पता चला है कि रक्त परीक्षण की तुलना में लार परीक्षण से बच्चों में बार-बार होने वाले श्वसन संक्रमण की गंभीरता का ज्यादा सटीक पता लगाया जा सकता है।

नीदरलैंड के रेडबौडुम अमालिया चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल और यूएमसी यूट्रेक्ट विल्हेल्मिना चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में पता चलता है कि लार में व्यापक रूप से सुरक्षात्मक एंटीबॉडी के स्तर में कमी का संबंध बच्चों में निमोनिया की संभावना में वृद्धि से है। यह विधि बेहतर होने के साथ बच्चों के लिए भी आरामदायक भी है।

बार-बार होने वाले श्वसन संक्रमण 10-15 प्रतिशत बच्चों को प्रभावित करते हैं। आमतौर पर बाल रोग विशेषज्ञ एंटीबॉडी की कमी का पता लगाने के लिए रक्त परीक्षणों पर भरोसा करते हैं, हालांकि ये परीक्षण अक्सर सीमित परिणाम देते हैं।

रेडबौडुमसी में बाल संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. लिली वरहेगन ने कहा, “यह बाल रोग विशेषज्ञों के लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि हम वास्तव में बच्चों की मदद करना चाहते हैं।”

उन्होंने कहा, “हमने पता लगाया कि क्या लार परीक्षण बीमारी की गंभीरता को बेहतर ढंग से इंगित कर सकता है, जो यह निर्धारित करने में मदद करेगा कि किन बच्चों को अधिक गहन देखभाल या एंटीबायोटिक उपचार की आवश्यकता है।”

इस शोध में उन 100 बच्चों के शामिल किया गया था जो बार-बार श्वसन संक्रमण का शिकार हो जाते हैं। पाया गया कि बीमारी की गंभीरता को इंगित करने में लार माप, रक्त परीक्षणों की तुलना में अधिक प्रभावी थे।

यूएमसी में डॉक्टरेट की छात्रा मिशा कोएनन ने बताया, “हमने रक्त एंटीबॉडी और बीमारी के बोझ के बीच कोई संबंध नहीं देखा, लेकिन लार में व्यापक रूप से सुरक्षात्मक एंटीबॉडी पाए गए जो कई तरह के रोगजनकों से लड़ते हैं। जिन बच्चों में एंटीबॉडी का स्तर कम होता है उनमें संक्रमण का खतरा अधिक गंभीर होता है।”

शोधकर्ताओं ने पाया कि महामारी से पहले के बच्चों की लार में भी सार्स कोव-2 वायरस से जुड़ने में सक्षम एंटीबॉडी मौजूद थे, जो कोविड-19 महामारी के लिए जिम्मेदार वायरस है।

अध्ययन में श्वसन तंत्र में मौजूद माइक्रोबायोम की भूमिका का भी पता लगाया गया, जिसमें हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा की पहचान एक ऐसे जीवाणु के रूप में की गई है जो गंभीर श्वसन संक्रमणों से दृढ़ता से जुड़ा हुआ है। जिन बच्चों में इस जीवाणु का स्तर ज्यादा होता है, वे सर्दियों के दौरान अधिक बार बीमार पड़ते हैं।

भविष्य के आकलन में बच्चों की देखभाल की जरूरतों का बेहतर मूल्यांकन करने के लिए लार और नासॉफिरिन्जियल म्यूकोसल माप को शामिल किया जा सकता है। टीम ने कहा कि इस दृष्टिकोण से अधिक प्रभावी उपचार और बच्चों के अनुकूल निदान पद्धतियां हो सकती हैं, जो संभावित रूप से कुछ अनुवर्ती रक्त परीक्षणों की जगह ले सकती हैं।