कोलकाता, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने पश्चिम बंगाल में शनिवार से शुरू हुई मतदाता सूची के मसौदे पर आपत्तियों और दावों की सुनवाई के लिए आयोग द्वारा विशेष रूप से नियुक्त 778 सूक्ष्म पर्यवेक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के एक सूत्र ने बताया कि 24 दिसंबर को कोलकाता के नजरुल माछ में इन सूक्ष्म पर्यवेक्षकों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया था।
सीईओ कार्यालय के एक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि ये 778 सूक्ष्म-पर्यवेक्षक न केवल प्रशिक्षण सत्र में अनुपस्थित रहे, बल्कि उन्होंने सुनवाई सत्रों की समीक्षा और पर्यवेक्षण की प्रक्रिया में भाग लेने में भी असमर्थता व्यक्त की। इसीलिए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिसमें उनसे पूछा गया है कि आयोग की तरफ से अनुशासन भंग के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जाए।
778 सूक्ष्म-पर्यवेक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और उन्हें अगले 48 घंटों के भीतर जवाब देने को कहा गया है। ऐसा न करने पर आयोग उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा, जिसमें निलंबन भी शामिल है।
सूक्ष्म-पर्यवेक्षकों की नियुक्ति केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष कर्मचारियों या केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों में से की गई है, जिनमें मुख्य रूप से ग्रुप-बी श्रेणी के और कुछ ग्रुप-ए श्रेणी के कर्मचारी शामिल हैं।
सूक्ष्म-पर्यवेक्षकों की नियुक्ति इन श्रेणियों के उन कर्मचारियों में से की गई है जिनका वर्तमान में पोस्टिंग स्थान पश्चिम बंगाल में है।
शुरुआत में तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सूक्ष्म-पर्यवेक्षकों की नियुक्ति अन्य राज्यों से की गई है।
हालांकि, बाद में पश्चिम बंगाल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि इस उद्देश्य के लिए नियुक्त सभी सूक्ष्म पर्यवेक्षकों की तैनाती राज्य में ही है।
सुनवाई सत्रों की समीक्षा और पर्यवेक्षण के लिए कुल 4,600 सूक्ष्म पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है।
आयोग ने सुनवाई सत्रों के दौरान सूक्ष्म पर्यवेक्षकों द्वारा निभाई जाने वाली भूमिकाओं को भी स्पष्ट किया था।

