तमिलनाडु : भाजपा ने सीएम स्टालिन से ‘नेप’ और केंद्रीय योजनाओं पर ‘वाइट पेपर’ जारी करने की मांग की

0
8

चेन्नई, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। तमिलनाडु में शिक्षा नीतियों को लेकर राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। भाजपा प्रवक्ता एएन एस प्रसाद ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मांग की है कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (नेप 2020) का विरोध करने के कारणों और केंद्र की प्रमुख योजनाओं (जवाहर नवोदय विद्यालय और पीएम-श्री स्कूलों) को लागू न करने की स्थिति पर विस्तृत वाइट पेपर जारी करें।

यह मांग तब सामने आई जब 2 दिसंबर को संसद में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु सरकार की शिक्षा योजनाओं में सहयोग न करने को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। मंत्री प्रधान ने दोहराया कि केंद्र सरकार तमिलनाडु के लिए लंबित सभी शिक्षा निधियों को जारी करने के लिए तैयार है, बस राज्य सरकार खुले मन से काम करे और राजनीतिक दबाव से ऊपर उठकर छात्रों के हित को प्राथमिकता दे।

भाजपा प्रवक्ता एएन एस प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री स्टालिन को लोगों के सामने यह स्पष्ट करना चाहिए कि राज्य क्यों (नेप 2020) को लागू नहीं करना चाहता और क्यों छात्रों को मिलने वाले बड़े अवसरों को रोका जा रहा है।

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार को दलीय राजनीति से ऊपर उठकर यह बताना चाहिए कि आखिर ऐसी कौन-सी आपत्तियां हैं जिनके कारण शिक्षा सुधार बाधित हो रहे हैं, जबकि ‘नेप’ छात्रों की कौशल वृद्धि, अवसरों के विस्तार और शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने का रास्ता खोलता है।

एएन एस प्रसाद का आरोप है कि तमिलनाडु सरकार आवश्यक एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं कर रही है, जिसके चलते जेएनवी और पीएम-श्री स्कूलों का क्रियान्वयन रुक गया है, जबकि केंद्र सरकार कई बार सहयोग का आश्वासन दे चुकी है।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार हिंदी थोपने की गलत धारणा फैलाकर ‘नेप’ का विरोध कर रही है, जबकि तीन-भाषा सूत्र में हिंदी अनिवार्य नहीं है। यह केवल बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रयास है, जिससे छात्रों को वैश्विक अवसर मिलते हैं।

भाजपा प्रवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया निर्देश का भी उल्लेख किया, जिसमें केंद्र और राज्यों को जेनएवी की स्थापना पर तेजी से विचार-विमर्श करने के लिए कहा गया है।

पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रसाद ने मुख्यमंत्री स्टालिन से आग्रह किया कि वे तमिलनाडु शिक्षा विभाग के प्रदर्शन और ‘नेप’ लागू न करने के मुद्दे पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाएं।

उन्होंने कहा कि पुराना द्रविड़ वादी विमर्श छात्रों के भविष्य में बाधा नहीं बनना चाहिए। केंद्र और राज्य के बीच सकारात्मक सहयोग तथा स्टूडेंट-फर्स्ट अप्रोच अपनाकर ही तमिलनाडु की शिक्षा व्यवस्था आगे बढ़ सकती है।