गाजा में मानवीय मदद बढ़ाने के लिए 30 दिन की समयसीमा, अमेरिका ने इजरायल पर डाला दवाब

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वाशिंगटन, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। अमेरिका ने इजरायल से अगले 30 दिनों के भीतर गाजा में मानवीय सहायता को बढ़ाने के लिए कहा है। ऐसा नहीं होने पर अमेरिकी मदद रोके जाने की चेतावनी दी है। जो बाइडेन प्रशासन के मुताबिक इस संबंध में अमेरिकी विदेश और रक्षा सचिवों ने पिछले सप्ताह एक पत्र पर सह-हस्ताक्षर किए जो उनके इजरायली समकक्षों को भेजा गया।

मंगलवार को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन द्वारा पत्र पर हस्ताक्षर करने की पुष्टि की। यह पत्र इजरायल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट और सामरिक मामलों के मंत्री रॉन डर्मर को संबोधित था।

मिलर ने कहा कि पत्र का उद्देश्य ‘गाजा में पहुंच रही मानवीय सहायता के बारे में हमारी चिंताओं को स्पष्ट करना था।’ उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका इस पत्र को ‘एक प्राइवेट डिप्लोमेटिक कम्युनिकेशन मानता है जिसे हम अपनी ओर से सार्वजनिक नहीं करना चाहते थे।”

सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पत्र में चेतावनी दी गई कि यदि इजरायल गाजावासियों को अधिक मानवीय मदद उपलब्ध कराने में नाकाम रहता है, तो उस पर विदेशी सैन्य सहायता को नियंत्रित करने वाले अमेरिकी कानूनों के उल्लंघन करने का आरोप लग सकता है। ऐसा होने पर इजरायल को दी जाने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता खतरे में पड़ सकती है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, पत्र में कहा गया कि अमेरिकी कानूनों के तहत, विदेश और रक्षा विभागों को लगातार यह आकलन करना है कि क्या इजरायल अपने इस आश्वासन का पालन कर रहा है कि वह गाजा में सहायता प्रवाह को प्रतिबंधित नहीं करेगा।

अमेरिका द्वारा दी गई 30 दिन की अवधि का मतलब है कि अगर इजरायल अमेरिकी चेतावनियों पर ध्यान नहीं देता है, तो अमेरिका की तरफ से कोई भी कार्रवाई, 5 नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद होगी।

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि बाइडेन प्रशासन ने अप्रैल में भी इजरायल को एक पत्र भेजा था जिसमें ‘मानवीय सहायता के संबंध में ठोस कदम उठाने के लिए इसी तरह का अनुरोध किया गया था।’

किर्बी ने कहा कि नवीनतम पत्र गाजा में मानवीय सहायता के प्रवाह में ‘हाल ही में आई कमी’ से जुड़ा है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन ऐसा नहीं है कि हमने पहले भी इजरायलियों को लिखित रूप में ये चिंताएं नहीं बताई हैं।’