शासकीय होम्योपैथी चिकित्सालय और महाविद्यालय कर रहे हैं शोध
भोपाल
प्रदेश में विशेष पिछड़ी जनजाति समूह में पाये जाने वाले सिकल सेल रोग के उन्मूलन के लिये आयुष विभाग के अंतर्गत संचालित शासकीय होम्योपैथी चिकित्सालय और महाविद्यालय शोध कार्य कर रहे हैं। इन जनजाति समूह में रोग से बचाव के लिये होम्योपैथी दवाई कारगर साबित हो रही है।
भोपाल के शासकीय होम्योपैथी अस्पताल ने जनजातीय क्षेत्रों में बैगा और भारिया समुदाय में शोध कार्य किया है। प्रदेश के 4 डिंडोरी, मंडला, छिन्दवाड़ा और शहडोल जिलों में इन समुदाय के 23 हजार से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की गई। स्क्रीनिंग के बाद पॉजिटिव पाये गये चिन्हित मरीजों को होम्योपैथी दवाई दी गई। दवाई का यह प्रभाव रहा कि वे अब कम बीमार पड़ते हैं। जिन रोगियों को शरीर में दर्द और खून की कमी की शिकायत थी, वे अब अच्छा महसूस कर रहे हैं। अभी तक 8 हजार से अधिक रोगियों को होम्योपैथी दवाई दी जा चुकी है। जिन मरीजों में ब्लड ट्रांसफ्यूजन बार-बार होता था, उनमें भी कमी आई है।
होम्योपैथी अस्पताल द्वारा सिकल सेल में शोध कार्य किया जा रहा है। इनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, एम्स भोपाल, आईसीएमआर-एनआईआरटीएच जबलपुर लगातार सहयोग कर रहे हैं। अनुसंधान और रोगियों के इलाज के अलावा शासकीय होम्योपैथी अस्पताल द्वारा चिन्हित किये गये मरीजों को राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ भी दिलाया गया है।
नये यंत्र का अविष्कार
जनजातीय क्षेत्रों में किये जा रहे अनुसंधान और दी जाने वाली होम्योपैथी दवाई की गुणवत्ता का आकलन करने के लिये एक नये यंत्र की खोज भी की गई है। इस यंत्र के माध्यम से होम्योपैथी दवा की गुणवत्ता प्रमाणित हो सकेगी। इसके लिये केन्द्र सरकार के सीएसआईआर के साथ एमओयू भी किया गया है। सिकल सेल से पीड़ित मरीज में शरीर के जोड़ों में तेज दर्द, हाथ और पाँव में सूजन, साँस लेने में तकलीफ, सीने में अत्यधिक दर्द, निमोनिया की शिकायत, लीवर की सूजन तथा स्ट्रोक जैसे जटिल लक्षण देखे जाते हैं। रोगियों को सिकल सेल रोग से बचाव के लिये होम्योपैथी चिकित्सकों द्वारा समझाइश भी दी जा रही है।