बेंगलुरु, 24 जून (आईएएनएस)। ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों तक चली भीषण जंग के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद मध्य पूर्व में तनाव कम होने की उम्मीद जगी है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञ जीजे सिंह के अनुसार यह एक नाजुक दौर है, जहां दोनों देशों के बीच गहरा अविश्वास शांति की राह में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है।
रक्षा विशेषज्ञ जीजे सिंह ने कहा, “सीजफायर की घोषणा से यह स्पष्ट है कि अमेरिका युद्ध को और बढ़ाना नहीं चाहता। ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों को खत्म कर अमेरिका शांत बैठ गया। ईरान ने जब कतर एयरबेस पर हमला किया तो भी अमेरिका ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। सीजफायर की घोषणा हुई है और कहा जा रहा है कि 12 घंटों के अंदर ये पूरी तरह लागू हो जाएगा, पर ईरान और इजरायल के रिश्ते अविश्वास से भरे हैं, ये बहुत नाजुक दौर है और सीजफायर को कायम रखने के लिए एक लंबे वक्त तक इसे बनाए रखने की जरूरत है। हमें इंतजार करना पड़ेगा, कहना मुश्किल है कि कब हालात बदले और ईरान और इजरायल में से कौन किस पर हमला कर दे।
जीजे सिंह ने आगे बताया कि ईरान और इजरायल के बीच रिश्ते अविश्वास से भरे हैं। यही कारण है कि दोनों देश एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करते, और यही इस सीजफायर की सबसे बड़ी चुनौती है। ईरान की ओर से सीजफायर लागू होने के कुछ घंटों बाद भी इजरायल पर मिसाइल हमले की खबरें आईं, जिसमें चार इजरायली नागरिकों की मौत हो गई। इससे क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता का माहौल बना हुआ है।
खबरें आ रही हैं कि ईरान ने कुछ हमले पहले कतर के ऊपर किए और अमेरिका ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी। अगर हम डोनाल्ड ट्रंप के बयान को देखें तो उन्होंने कहा था कि अगर ईरान हमारे किसी सैन्य अड्डे के ऊपर मध्य पूर्व के अंदर हमला करेगा तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा।
जीजे सिंह ने आगे कहा कि मध्य पूर्व की स्थिति हर घंटे बदल रही है। यह एक ‘वेट एंड वॉच’ वाली स्थिति है। सीजफायर को स्थायी बनाने के लिए लंबे समय तक कूटनीतिक प्रयासों की जरूरत होगी। दोनों देशों में से कोई भी कभी भी हमला शुरू कर सकता है, क्योंकि अविश्वास की खाई बहुत गहरी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की ओर से युद्ध को रोकने की पहल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह तभी सफल होगी जब दोनों पक्ष समझौते का सम्मान करे।