आईआरसीटीसी घोटाला: शांभवी चौधरी ने बताया सत्य की जीत, सुधाकर सिंह बोले-ये साजिश है

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पटना, 13 अक्‍टूबर (आईएएनएस)। बिहार चुनाव से ठीक पहले आईआरसीटीसी होटल भ्रष्टाचार मामले में सोमवार को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर आरोप तय किए जाने के बाद बिहार की राजनीति फिर से गरमा गई है। एक तरफ जहां विपक्ष इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध बता रहा है, वहीं एनडीए के नेता इसे न्याय की जीत करार दे रहे हैं।

लोजपा (रामविलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने कहा कि सत्य की हमेशा जीत होती है और बिहार की जनता को धोखा देने वालों को समय आने पर जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि यह बिहार को अंधकार की ओर ले जाने वालों के खिलाफ एक बड़ी जीत है। उन्होंने कहा कि कानून अपना काम कर रहा है और किसी को भी न्याय से ऊपर नहीं माना जा सकता।

वहीं आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला राजनीतिक है और जांच एजेंसियां भाजपा की बी-टीम की तरह काम कर रही हैं। सिंह ने कहा कि सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां खासकर चुनाव के समय सक्रिय हो जाती हैं ताकि विपक्षी नेताओं को बदनाम किया जा सके।

उन्होंने कहा कि इससे पहले भी अदालत दो बार इस मामले को खारिज कर चुकी है और अब तीसरी बार भी परिणाम वही रहेगा। यह केस पूरी तरह आधारहीन है और लालू प्रसाद यादव को राजनीतिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए इस मामले को फिर से खोला गया है। उन्होंने इसे “अघोषित आपातकाल” की स्थिति करार दिया।

इसी बीच, बिहार चुनाव के लिए एनडीए के भीतर सीट बंटवारे पर भी सियासत गर्म है। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के ट्वीट के बाद गठबंधन के भीतर मतभेद की चर्चाएं तेज हो गई थीं। इस पर लोजपा (रामविलास) सांसद शांभवी चौधरी ने कहा कि एनडीए में सब कुछ ठीक है और गठबंधन में सीटों का बंटवारा शीर्ष नेतृत्व की आपसी सहमति से होता है। उन्होंने कहा कि असंतोष की कोई गुंजाइश नहीं है और यदि कोई नाखुश है तो समय आने पर सभी मतभेद दूर कर लिए जाएंगे।

आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह ने एनडीए पर निशाना साधते हुए कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा ने इतना कमजोर बना दिया है कि वे अब छह सीटों के लिए भी मोहताज हैं। उन्होंने कहा कि एक दौर था जब कुशवाहा को 25 सीटें मिलती थीं, लेकिन आज स्थिति बदल गई है।

सिंह ने आरोप लगाया कि कुशवाहा को सिनेमाई दुनिया के एक व्यक्ति से हरवाना भाजपा की साजिश थी। उन्होंने यह भी कहा कि बार-बार दल बदलने से जनता का भरोसा उनके प्रति कम हो गया है और उन्हें अब अपने राजनीतिक दृष्टिकोण पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की जरूरत है।