ईशांत शर्मा : एसी मैकेनिक का बेटा, जिसने अपनी कद-काठी और रफ्तार से बड़े-बड़ों को मात दी

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नई दिल्ली, 1 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट टीम के अनुभवी तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी लंबी कद-काठी और स्विंग गेंदबाजी से कई बार भारत को जीत दिलाई। विदेशी पिचों पर प्रभावित कर चुके ईशांत 300 से अधिक टेस्ट विकेट लेने वाले सिर्फ तीसरे भारतीय तेज गेंदबाज हैं।

2 सितंबर 1988 को दिल्ली में जन्मे ईशांत शर्मा के पिता विजय शर्मा एयर कंडीशनर ठीक करने का काम करते थे। पिता सिर पर एसी रखकर उसे 4-5 मंजिल तक पहुंचाते। यह काम भी ऐसा था, जो सिर्फ गर्मियों के समय में ही होता था। इन चार-पांच महीनों की कमाई पर ही पूरे परिवार को सालभर का खर्चा चलाना पड़ता।

आर्थिक तंगी के बीच पले-बढ़े ईशांत शर्मा ने 14 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया। ईशांत और विराट कोहली साथ ही जूनियर क्रिकेट खेले थे। इस दौरान उन्हें प्रतिदिन 150 रुपये रोजाना भत्ते के तौर पर मिलते थे। इसने परिवार पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कुछ हद तक कम किया।

लंबी कद-काठी के चलते ईशांत को कई बार भारतीय पिचों पर भी अप्रत्याशित उछाल मिलता था। अपनी गेंदबाजी से सभी को प्रभावित करने वाले ईशांत ने 18 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया। जब ईशांत सिर्फ 19 साल के थे, तो उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट में भी मौका मिल गया।

करियर की शुरुआती स्टेज में दुबले-पतले ईशांत ने अपनी रफ्तार, उछाल और पैशन से भारतीय क्रिकेट में नैसर्गिक तेज गेंदबाजी के नए दौर की शुरुआत की थी। उन्होंने अच्छा प्रभाव छोड़ा और पैसा भी ठीक-ठाक मिलना शुरू हो गया था। बताया जाता है कि एक दिन ईशांत मॉल से 42 हजार के स्पीकर्स ले आए। उन्होंने दुकानदार को 30 हजार रुपए दिए थे। बाकी 12 हजार रुपए पिता को स्पीकर्स की डिलीवरी के वक्त देने थे।

जब पिता को पता चला कि बेटे ने स्पीकर्स पर इतना मोटा खर्चा किया है, तो उन्होंने ईशांत की मां को बताया कि वह एक स्कूटर लेने की सोच रहे थे, लेकिन बेटे ने स्पीकर्स पर ही इतना खर्चा कर दिया। स्पष्ट था कि भले ही अब ईशांत अच्छी कमाई करने लगे थे, लेकिन पिता को अब भी एक-एक पैसे की कद्र थी।

ऑस्ट्रेलियाई टीम साल 2008 में भारत के दौरे पर चार मुकाबलों की टेस्ट सीरीज खेलने आई थी। ईशांत शर्मा ने सभी मुकाबले खेले। वह सीरीज में सर्वाधिक विकेट लेने वाले संयुक्त रूप से नंबर-1 गेंदबाज रहे। ईशांत ने 27.07 की औसत के साथ 15 विकेट हासिल किए। इतने ही विकेट हरभजन सिंह ने भी लिए।

जनवरी 2008 में पर्थ में खेले गए भारत-ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले को शायद ही कोई भूल सकता है, जिसमें दूसरी पारी के दौरान ईशांत ने नौ ओवरों का शानदार स्पेल डाला था। अपनी स्टीक लेंथ और तेज गति से ईशांत ने रिकी पोंटिंग को बहुत तंग किया था। अंत में ईशांत ने ही पोंटिंग को आउट किया।

ईशांत शर्मा काफी समय तक भारतीय क्रिकेट के पेस अटैक के अगुवा रहे। उनको वर्क-हॉर्स भी कहा जाता था। ये ईशांत की लगातार बॉलिंग करने की क्षमता थी। हालांकि, करियर में उतार-चढ़ाव भी रहे और ईशांत कई बार निरंतरता की कमी से जूझते रहे। करियर के शुरुआती स्टेज पर 90 मील प्रति घंटा की स्पीड से बॉलिंग करने वाले ईशांत की रफ्तार धीरे-धीरे कम होती गई थी। साल 2012 में ईशांत ने टेस्ट क्रिकेट में पांच मैच खेले, लेकिन सिर्फ सात ही विकेट हासिल कर सके। हालांकि, उन्होंने साल 2014 में शानदार वापसी करते हुए आठ मुकाबलों में 38 विकेट लिए।

फरवरी 2014 में ईशांत शर्मा ने ऑकलैंड टेस्ट में न्यूजीलैंड के खिलाफ 9 विकेट हासिल किए। हालांकि, टीम इंडिया मैच 40 रन से हार गई।

जुलाई 2014 में ईशांत शर्मा ने लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ सात विकेट चटकाए। उनके इस शानदार प्रदर्शन के दम पर भारत ने मुकाबला अपने नाम किया, लेकिन घुटने की चोट के कारण ईशांत 2015 के एकदिवसीय विश्व कप से चूक गए। अगले साल व्हाइट बॉल क्रिकेट से उनका सफर खत्म हो गया।

ईशांत शर्मा ने साल 2018 में कुल 11 टेस्ट खेले, जिसमें 21.80 की औसत के साथ 41 विकेट हासिल किए। अगले साल उन्होंने 6 टेस्ट में 25 शिकार किए, लेकिन 2021 के बाद उन्हें फिर कभी टेस्ट टीम में मौका नहीं मिल सका।

ईशांत शर्मा के टेस्ट करियर को देखें, तो उन्होंने 105 मुकाबलों की 188 पारियों में 32.40 की औसत के साथ 311 विकेट अपने नाम किए। इस दौरान उन्होंने 11 बार पारी में पांच या इससे अधिक विकेट चटकाए।

ईशांत ने भारत की ओर से 80 वनडे मुकाबले खेले, जिसमें 30.98 की औसत के साथ 115 विकेट लिए, जबकि 14 टी20 मुकाबलों में उन्होंने आठ शिकार किए।

ईशांत शर्मा ने फर्स्ट क्लास करियर के 154 मुकाबलों में 486 विकेट हासिल किए। वहीं, 135 लिस्ट-ए मुकाबलों में उनके नाम 192 विकेट दर्ज हैं। क्रिकेट में उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते इशांत शर्मा को साल 2020 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

ईशांत कपिल देव के बाद भारत के सिर्फ ऐसे दूसरे दाएं हाथ के तेज गेंदबाज हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 300 विकेट लिए हैं और 100 या उससे अधिक टेस्ट मैच खेले हैं।