मुंबई, 2 सितंबर (आईएएनएस)। मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से दोपहर 3 बजे तक स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया। चीफ जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस आरती साठे की बेंच ने सुनवाई के दौरान आंदोलन से उत्पन्न स्थिति पर नाराजगी जताई।
कोर्ट में वरिष्ठ वकील सतीश मानशिंदे ने राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखा, जबकि मराठा समुदाय की ओर से पेश वकील ने बताया कि आंदोलन में लगभग 5000 गाड़ियां पहुंच चुकी हैं, लेकिन 500 लोगों के रुकने तक की व्यवस्था नहीं है।
इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, “सड़कों पर जज के चलने की भी जगह नहीं है। हालात सामान्य करें वरना सख्त कार्रवाई की जाएगी।” कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि सड़कों से गाड़ियां हटाई जाएं और भीड़ नियंत्रित की जाए।
चीफ जस्टिस चंद्रशेखर ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि इस मामले को ऐसे ही छोड़ा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि 3 बजे के बाद की इजाजत नहीं है। चीफ जस्टिस ने सरकार को कड़े निर्देश देते हुए कहा, ‘जब मैं कोर्ट से निकलूंगा, हमें ये गाड़ियां दिखनी नहीं देनी चाहिए। इसके लिए जो भी उचित और जरूरी कदम हों, उठाएं।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दोपहर 3 बजे तक रिपोर्ट देने और कार्रवाई की जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इसके बाद दोबारा बेंच बैठेगी और स्थिति की समीक्षा करेगी।
बता दें कि मनोज जरांगे मराठा समाज आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई में 4 दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन के बीच मुंबई में जगह-जगह जाम की स्थिति देखी गई। इस स्थिति में मुंबई पुलिस ने मनोज जरांगे के प्रदर्शन को अनुमति देने से इनकार करते हुए आजाद मैदान खाली करने का नोटिस भेजा है।
महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री पंकज भोयर ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि सरकार की ओर से मनोज जरांगे और उनके साथियों को बार-बार रिक्वेस्ट की गई है कि आंदोलन से मुंबईवासियों को परेशानी न हो।
मंत्री पंकज भोयर ने यह भी कहा कि मुझे विश्वास है मनोज जरांगे और उनके साथी सरकार के साथ चर्चा करके शांति का रास्ता निकालेंगे।