रांची, 28 जून (आईएएनएस)। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने शनिवार को चुनाव आयोग और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अब जनता को बिहार का नागरिक होने का प्रमाण देना पड़ेगा, इसमें आधार कार्ड और वोटर कार्ड का एपिक नंबर मान्य नहीं होगा।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यह बिहार चुनाव प्रक्रिया को जटिल बनाने और राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए खेल हो रहा है। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि विगत दो दिन में देश में एक तरफ चुनाव आयोग और दूसरी तरफ आरएसएस के बीच संधि बनी है जो इस देश के संविधान से समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता तथा नागरिकों के मौलिक अधिकार को छीनने का काम कर रहे हैं। चुनाव आयोग का टैगलाइन है – ‘नो वोटर लेफ्ट बिहाइंड’। मतलब कोई मतदाता छूटे नहीं। लेकिन अब बिहार से मतदाताओं को छोड़ने की व्यापक तैयारी शुरू हो गई है।
उन्होंने कहा कि एक ऐसा तुगलकी फरमान आया है कि बिहार के आठ करोड़ मतदाताओं को एक महीने के अंदर खुद को बिहारी होने, बिहार का मतदाता होने का प्रमाण देना पड़ेगा। लेकिन प्रमाण में आधार मान्य नहीं होगा, इसमें वोटर कार्ड का एपिक नंबर भी मान्य नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि यह सब बिहार में होने वाले चुनाव की वजह से किया जा रहा है। भाजपा की निश्चित हार से बचाने के लिए चुनाव प्रक्रिया को जटिल बनाया जा रहा है। बिहार चुनाव को टालकर और राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए खेल हो रहा है।
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के संविधान की प्रस्तावना में आपातकाल के दौरान शामिल किए गए “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्दों पर विचार करने के बयान पर झामुमो नेता ने कहा, “पहले तो होसबोले बताएं कि वह देश के संविधान को मानते हैं नहीं। मौलिक अधिकार में ही मताधिकार का वर्णन है, इसलिए चुनाव आयोग का यह कदम गलत है।”
उन्होंने कहा कि जानकारी मिली है कि अगस्त माह से झारखंड में भी इसकी शुरुआत होने वाली है।