झारखंड : कांग्रेस नेता इरफान अंसारी ने चंद्रशेखर दुबे के निधन पर जताया गहरा दुख, बोले – उनका जाना अपूरणीय क्षति

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रांची, 11 जुलाई (आईएएनएस)। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री और कांग्रेस नेता इरफान अंसारी ने पूर्व सांसद चंद्रशेखर दुबे के निधन पर शोक व्यक्त किया है जिन्हें ‘ददई दुबे’ के नाम से भी जाना जाता था।

इरफान अंसारी ने गुरुवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में पूर्व सांसद चंद्रशेखर दुबे के निधन को कांग्रेस पार्टी और समाज के लिए अपूरणीय क्षति बताया, जिन्होंने “दलितों और मजदूरों की आवाज को हमेशा बुलंद किया”। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर दुबे उनके लिए अभिभावक तुल्य थे, जैसे उनके पिता फुरकान अंसारी।

दुबे पलामू से पांच बार विधायक और धनबाद से सांसद रहे। उन्होंने अंसारी के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, कैंपेन चलाकर और ब्राह्मण समाज को एकजुट करके उनकी जीत सुनिश्चित की।

मंत्री ने याद किया कि दुबे उन्हें और उनके बेटे इरफान को अपने घर बुलाकर खाना खिलाते थे और हमेशा मार्गदर्शन करते थे। उन्होंने एक घटना का जिक्र किया, जब कुछ अधिकारियों ने मजदूरों के साथ दुर्व्यवहार किया था। उस समय सांसद रहे दुबे ने मजदूरों का साथ दिया और उन्हें डीसी कार्यालय ले जाकर अधिकारियों से माफी मंगवाई।

अंसारी ने कहा, “दुबे जी एक योद्धा और सच्चे नेता थे, जिन्होंने हमेशा कमजोर वर्गों के लिए लड़ाई लड़ी। उनकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता।” उन्होंने कहा कि दुबे का निधन न केवल उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि कांग्रेस पार्टी और पूरे झारखंड के लिए भी बड़ा नुकसान है। उन्होंने दुबे को दलितों और मजदूरों का सच्चा हितैषी बताया, जिन्होंने सामाजिक न्याय के लिए जीवन समर्पित किया। उनकी विरासत को संजोकर रखना और उनके दिखाए रास्ते पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

उल्लेखनीय है कि झारखंड के वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री चंद्रशेखर दुबे, जिन्हें ‘ददई दुबे’ के नाम से जाना जाता था, का 10 जुलाई को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। गढ़वा जिले के चोका गांव के निवासी दुबे ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत मुखिया के रूप में की थी। वह पलामू के विश्रामपुर से छह बार विधायक और धनबाद से सांसद रहे। झारखंड सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री और इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उन्होंने मजदूरों और दलितों के हक की आवाज बुलंद की।