झारखंड: सारंडा जंगल का 314 वर्ग किमी का इलाका बनेगा अभयारण्य, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कैबिनेट ने लिया निर्णय

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रांची, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार झारखंड सरकार ने राज्य के कोल्हान प्रमंडल स्थित सारंडा जंगल के 314 वर्ग किलोमीटर इलाके को अभयारण्य घोषित करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में मंगलवार देर शाम आयोजित कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।

बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार सारंडा का 314 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अभयारण्य घोषित किया जाएगा। इस जंगल में रहने वाले आदिवासियों, मूलवासियों के जीवन पर इससे कोई असर नहीं पड़ेगा। वे पहले की तरह सामान्य रूप से यहां जीवन बसर कर सकेंगे।”

सुप्रीम कोर्ट ने 8 अक्टूबर को राज्य सरकार को एक सप्ताह में सारंडा को अभयारण्य घोषित करने का निर्णय लेने का निर्देश दिया था। इस मुद्दे पर 15 अक्टूबर यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई होनी है, जहां राज्य सरकार की ओर से अदालत के निर्देश के अनुपालन का एफिडेविट दाखिल किया जाएगा। प्रस्तावित सारंडा अभयारण्य के एक किलोमीटर परिधि का क्षेत्र इको सेंसेटिव जोन घोषित किया जाएगा।

सारंडा जंगल का कुल क्षेत्रफल 850 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से 314 वर्ग किलोमीटर, यानी 36 प्रतिशत इलाका, अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया जाएगा। जिन इलाकों को अभयारण्य के रूप में चिन्हित किया जाएगा, वहां किसी तरह का खनन कार्य नहीं हो सकेगा। अभयारण्य के बाहर के वन क्षेत्रों में वैध रूप से आवंटित पट्टाधारक खनिजों का उत्खनन कर सकेंगे। यहां सबसे ज्यादा इलाके में सेल की आयरन की खदानें हैं, जो वर्षों से संचालित हो रही हैं। ये खदानें पूर्ववत चलती रहेंगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले 57,519.41 हेक्टेयर क्षेत्र को 8 अक्टूबर 2025 तक अभयारण्य घोषित करने का आदेश दिया था। इस पर राज्य सरकार ने दलील दी कि इतने बड़े क्षेत्र को अभयारण्य घोषित करने से कई खनन क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। राज्य सरकार ने यह भी कहा कि वह पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन वर्षों से जो खनन कार्य कानूनी रूप से चल रहे हैं, उन्हें बंद करने से देश-राज्य की अर्थव्यवस्था और रोजगार पर गंभीर असर पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के तर्क को स्वीकार करते हुए 31,468.25 हेक्टेयर यानी 314 वर्ग किमी को अभयारण्य घोषित करने की अनुमति दे दी।