कन्नौज, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के कन्नौज में किसान अब पारंपरिक फसलों से हटकर गुलाब की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के सहयोग से शुरू की गई इस पहल ने न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाई है, बल्कि कन्नौज के प्रसिद्ध इत्र उद्योग को भी नई ऊर्जा दी है।
भारत की ‘इत्र राजधानी’ के रूप में मशहूर कन्नौज की मिट्टी और जलवायु गुलाब की खेती के लिए बेहद अनुकूल मानी जाती है। यही कारण है कि अब बड़ी संख्या में किसान गेहूं और धान जैसी पारंपरिक फसलों के बजाय गुलाब और बेला जैसे फूलों की खेती करने लगे हैं।
इन फूलों का उपयोग इत्र, अत्तर और अन्य सुगंधित उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। यहां के किसानों का कहना है कि पारंपरिक खेती के मुकाबले गुलाब की खेती से अधिक आमदनी हो रही है।
कन्नौज के किसान राहुल कुशवाहा ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया, “हम लंबे समय से गुलाब की खेती कर रहे हैं। पहले पारंपरिक फसलों से जो आय होती थी, वह सीमित थी, लेकिन गुलाब की खेती ने हमारी आमदनी लगभग दोगुनी कर दी है। इसकी लागत कम और मुनाफा ज्यादा है। सबसे बड़ी बात यह है कि बाजार में इसकी मांग सालभर बनी रहती है।”
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की मदद से किसानों को एडवांस में वित्तीय सहायता मिल जाती है, जिससे बीज, सिंचाई और देखरेख की लागत आसानी से पूरी हो जाती है। इससे किसानों को खेती में स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा दोनों मिलती हैं।
स्थानीय लोगों की मानें तो गुलाब की खेती से जहां किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है, वहीं स्थानीय इत्र उद्योग को भी निरंतर कच्चा माल उपलब्ध हो रहा है। इससे न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं, बल्कि कन्नौज की पारंपरिक सुगंधित पहचान को भी और मजबूती मिली है।