नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। रामायण के प्रमाण देश और विदेश की धरती पर देखने को मिल जाएंगे। देश के कोने-कोने में भगवान राम, मां सीता और हनुमान जी से जुड़े मंदिर हैं।
इन मंदिरों की मान्यता और पौराणिक कथा अलग-अलग हैं। ऐसा ही जबलपुर में एक शिव मंदिर है, जिसका नाता रामायण से जुड़ा है। माना जाता है कि भगवान राम और लक्ष्मण दोनों ने ही मंदिर में अद्भुत शिवलिंग की पूजा की थी।
मध्यप्रदेश के जबलपुर में कपितीर्थ कुम्भेश्वर महादेव का मंदिर है, जिसकी मान्यता और दर्शन दोनों ही अद्भुत हैं। मंदिर लम्हेटी गांव में बना हुआ है, जिसमें एक नहीं बल्कि दो-दो शिवलिंग विराजमान हैं, वो भी जिलहरी। आमतौर पर एक मंदिर के प्रांगण में एक ही शिवलिंग होता है, लेकिन कपितीर्थ कुम्भेश्वर महादेव में दो-दो महादेव एक साथ भक्तों को दर्शन देते हैं। मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि मंदिर का संबंध भगवान राम और लक्ष्मण से है।
कहा जाता है कि त्रेतायुग में स्वयं श्रीराम-लक्ष्मण ने मिलकर दो शिवलिंगों की प्राण-प्रतिष्ठा की थी। इन दोनों ही शिवलिंग को बालू और मिट्टी से बनाया गया है। पौराणिक कथाओं की मानें तो रावण वध के बाद भगवान हनुमान को कई हत्याओं का पाप लगा और उन्होंने अशोकवाटिका को भी उजाड़ा था, ऐसे में उन्हें प्रकृति-दोष भी लगा। अब अपने दोषों से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने लम्हेटी गांव के पास नर्मदा तट पर साधना की और खुद को दोषों से मुक्त किया। उधर भगवान राम को भी ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। हनुमान जी ने स्वयं श्रीराम को दोषों से मुक्ति पाने का मार्ग बताया और भगवान राम और लक्ष्मण ने मिलकर लम्हेटी में युगल शिवलिंग की स्थापना की और कठोर तपस्या भी की।
भगवान राम और लक्ष्मण ने ही युगल शिवलिंग की नींव रखी। आज भी भक्त सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति पाने के लिए कपितीर्थ कुम्भेश्वर महादेव के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर बहुत छोटा है, लेकिन पौराणिक होने की वजह से मंदिर की ख्याति बहुत अधिक है।
नर्मदा पुराण में इस मंदिर का जिक्र है और बताया गया है कि मंदिर के तट पर स्नान करने से सभी दोषों से मुक्ति मिलती है और बारह गुना पुण्य भी मिलता है। इसी मान्यता की वजह से दूर-दूर से लोग मंदिर के नजदीक बसी नर्मदा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं और मंदिर की परिक्रमा भी करते हैं।