एमवी श्रीधर : शानदार बल्लेबाज, जिन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में कभी नहीं मिल पाई जगह

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नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)। क्रिकेट में करियर देख रहे हर युवा का सपना होता है कि एक न एक दिन वह भी अपने देश का प्रतिनिधित्व करेगा। कुछ को सफलता मिलती है तो कुछ को निराशा। कुछ अपने राज्य के रणजी स्तर तक पहुंचते हैं, लेकिन इसके बाद राष्ट्रीय टीम तक का सफर काफी कठिन होता है। प्रथम श्रेणी खेलने वाले कई क्रिकेटर ऐसे हैं, जिन्हें कभी राष्ट्रीय टीम के लिए नहीं चुना गया। एम.वी. श्रीधर भी एक ऐसे ही क्रिकेटर थे।

एक सफल दाएं हाथ के बल्लेबाज, श्रीधर ने 1988-89 और 1999-2000 के बीच अपने करियर में 21 प्रथम श्रेणी शतक लगाए। श्रीधर हैदराबाद के उन तीन बल्लेबाजों में से एक थे जिन्होंने प्रथम श्रेणी में तिहरा शतक लगाया था, वीवीएस लक्ष्मण और अब्दुल अजीम भी ऐसे ही बल्लेबाज थे।

1994 में आंध्र प्रदेश के खिलाफ उनकी 366 रनों की पारी, रणजी ट्रॉफी में तीसरा सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है, जो भाऊसाहेब निंबालकर के नाबाद 443 और संजय मांजरेकर के 377 रनों के बाद दूसरे स्थान पर है। उस पारी के दौरान, उन्होंने एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो आज भी कायम है। जब वह विकेट पर थे, हैदराबाद ने 850 रन बनाए (वह 30 रन पर 1 विकेट पर आए और 880 रन पर 5 विकेट पर आउट हुए), जो किसी भी बल्लेबाज के क्रीज पर रहने के दौरान किसी टीम द्वारा बनाए गए सर्वाधिक रन थे।

क्रिकेट से संन्यास के बाद श्रीधर कई भूमिकाओं में रहे। वे हैदराबाद क्रिकेट के सचिव पद पर भी रहे।

एम.वी. श्रीधर टीम इंडिया के मैनेजर भी रहे। साल 2008 में जब भारत की टेस्ट टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी तो उन्होंने कुख्यात ‘मंकीगेट’ विवाद को सुलझाया था। विवाद को सुलझाने में उनका अहम योगदान था। इससे हरभजन को न केवल सजा से राहत मिली बल्कि भारतीय टीम की नैतिक जीत भी हुई।

श्रीधर का पूरा परिवार क्रिकेट प्रेमी था, और उन्होंने कम उम्र में ही क्रिकेट में रुचि दिखानी शुरू कर दी थी। बहुत कम लोग जानते हैं कि क्रिकेटर के अलावा वह एक योग्य डॉक्टर थे और उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन की पढ़ाई की थी। इस कारण उन्हें डॉ. श्रीधर के नाम से भी जाना जाता था। क्रिकेट के साथ-साथ मेडिकल की पढ़ाई को संतुलित करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन उन्होंने दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

क्रिकेट के अलावा, श्रीधर को नृत्य और संगीत में भी रुचि थी। वे कॉलेज में नाटकों का मंचन और स्क्रिप्ट लेखन भी करते थे।

साल 2017 में 51 वर्षीय श्रीधर को अपने घर पर दिल का दौरा पड़ा। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटी और एक बेटा हैं। वह एक ऐसे क्रिकेटर रहे जिन्होंने अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया, लेकिन सर्वोच्च स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व नहीं कर सके।