नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। उन्होंने राष्ट्रपति को दीपावली की शुभकामनाएं दीं और अपने मंत्रालयों की प्रगति और आगामी योजनाओं की जानकारी साझा की।
इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दो प्रमुख राष्ट्रीय विज्ञान आयोजनों के बारे में बताया। पहला, चंडीगढ़ में 6 दिसंबर से शुरू होने वाला चार दिवसीय भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ-2025), जो ‘विज्ञान से समृद्धि’ थीम पर आधारित होगा। यह आयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की उपलब्धियों को प्रदर्शित करेगा और युवाओं व जनता की भागीदारी को बढ़ावा देगा। इसमें पांच प्रमुख विषय शामिल होंगे: उत्तर-पश्चिम भारत और हिमालयी क्षेत्र का विज्ञान, समाज और शिक्षा के लिए विज्ञान, आत्मनिर्भर भारत, जैव प्रौद्योगिकी, और पारंपरिक ज्ञान का आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकरण। यह महोत्सव सतत विकास को बढ़ावा देगा।
दूसरा, उभरता विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी-2025), जो 3 से 5 नवंबर, 2025 तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित होगा। ‘विकसित भारत 2047 के लिए कल्पना करें, नवाचार करें, प्रेरणा दें’ थीम पर आधारित यह सम्मेलन विज्ञान और प्रौद्योगिकी का पहला एकीकृत मंच होगा। इसमें सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों पर चर्चा होगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि 13 मंत्रालयों की भागीदारी के साथ यह आयोजन ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसमें 11 विषयगत सत्र होंगे, जो शोधकर्ताओं, स्टार्टअप्स और उद्योगों के बीच सहयोग को बढ़ावा देंगे।
मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने पिछले एक दशक में नवाचार में उल्लेखनीय प्रगति की है। देश अब पेटेंट दाखिल करने में दुनिया के शीर्ष छह देशों में शामिल है और 2029 तक शोध प्रकाशनों में अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ सकता है। ईएसटीआईसी-2025 भारत के वैज्ञानिक और तकनीकी रोडमैप को तैयार करने का रणनीतिक मंच बनेगा, जो नवाचार को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और सतत विकास लक्ष्यों से जोड़ेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के वैज्ञानिक विकास की सराहना की।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के हर संबोधन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर दिया जाता है। आईआईएसएफ और ईएसटीआईसी एक-दूसरे के पूरक हैं, जहां ईएसटीआईसी विज्ञान के अध्ययन पर केंद्रित है, वहीं आईआईएसएफ नवाचार का उत्सव है।