केंद्रीय योजनाओं से केरल में संभव हुआ गरीबी उन्मूलन, राज्य सरकार का दावा भ्रामक: राजीव चंद्रशेखर

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तिरुवनंतपुरम, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। केरल भाजपा अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार का अत्यधिक गरीबी उन्मूलन का दावा भ्रामक है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि पूरी तरह से केंद्र सरकार के कार्यक्रमों के कारण संभव हुई है। उन्होंने राज्य सरकार पर योजनाओं के कार्यान्वयन में देरी करने और फिर परिणामों का श्रेय लेने का प्रयास करने का आरोप लगाया।

चंद्रशेखर ने कहा कि केरल की प्रशासनिक जड़ता के कारण ही उसे परिणाम प्राप्त करने में एक दशक लग गया, जबकि अन्य राज्यों ने इसे बहुत तेजी से हासिल कर लिया।

उन्होंने कहा, “अन्य राज्यों ने गरीबी उन्मूलन के लिए तेजी से काम किया, केरल सरकार वर्षों तक निष्क्रिय रही और अब वह इस सफलता को अपनी बताने की कोशिश कर रही है।”

विश्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि भारत में लगभग 170 मिलियन लोगों को अत्यधिक गरीबी से निकाला गया है, जबकि केरल में केवल 2.72 लाख लोग ही 10 वर्षों में यह उपलब्धि हासिल कर पाए हैं।

उन्होंने कहा, “यह केंद्र की कल्याणकारी योजनाएं थीं, जिन्होंने लोगों को गरीबी से निकाला। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत केरल में लगभग 6 लाख परिवारों को हर महीने 35 किलोग्राम खाद्यान्न मिलता है, जबकि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से 58 लाख व्यक्तियों को रोजगार मिलता है।

चंद्रशेखर ने कहा, “ये केंद्रीय योजनाएं हैं जिनसे केरल के गरीबों को सीधे तौर पर मदद मिली है।”

विभिन्न राज्यों के प्रदर्शन की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले दशक में उत्तर प्रदेश में 6 करोड़, बिहार में 3.77 करोड़, मध्य प्रदेश में 2.3 करोड़, राजस्थान में 1.87 करोड़ और महाराष्ट्र में 1.59 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला गया है। इसके विपरीत केरल में केवल 2.72 लाख ही बाहर गरीबी से आए हैं।

राज्य पर राजनीतिक अवसरवाद का आरोप लगाते हुए चंद्रशेखर ने कहा, “पिछले 10 वर्षों से, पिनाराई विजयन सरकार केंद्रीय परियोजनाओं का श्रेय लेने के लिए उन्हें नए नामों और स्टिकरों से रीब्रांड कर रही है।”

उन्होंने गरीबी उन्मूलन के दावे को इसका ताजा उदाहरण बताया और कहा कि शिक्षा और युवा विकास में सुधार के उद्देश्य से शुरू की गई पीएम श्री योजना को भी राज्य ने पाँच वर्षों तक रोके रखा।