कोरिया और भारत: यात्रा स्केचों के माध्यम से बुनी गईं कलात्मक संवेदनाएं

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नई दिल्‍ली, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। कोरियन कल्चरल सेंटर इंडिया के 13वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विशेष प्रदर्शनी ‘यात्रा स्केच: हमारे पार, हमारे बीच’ का उद्घाटन हाल ही में सेंटर में आयोजित किया गया। यह प्रदर्शनी कोरिया और भारत के दो‑दो कलाकारों द्वारा बनाई गई 200 से अधिक कलाकृतियों को प्रस्तुत करती है।

कोरियाई कलाकार सन सांगशिन (बेरेका) और ह्यो दासोम ने भारत की अपनी यात्राओं से प्रेरित रचनाएं प्रदर्शित की हैं, जबकि भारतीय कलाकार रीका नार्तियांग और समिद्धा चौधरी ने कोरिया की यात्रा के दौरान बनाई गई कलाकृतियां प्रस्तुत की हैं। प्रदर्शनी 28 फरवरी 2026 तक दर्शकों के लिए खुली है।

उद्घाटन समारोह के दौरान कलाकारों ने दर्शकों को अपनी कृतियों का विशेष मार्गदर्शन देते हुए बताया कि कैसे उन्होंने पेन ड्रॉइंग, वॉटरकलर और डिजिटल आर्ट के माध्यम से दोनों देशों की सांस्कृतिक समानताओं और भिन्नताओं को समझने की कोशिश की।

कोरियाई कलाकार सन सांगशिन ने अपने बड़े आकार के पेन ड्रॉइंग और वॉटरकलर कार्यों के साथ अपनी तीन प्रकाशित पुस्तकों, इफ दिस इज द जर्नी, इंडिया रोमांस, और यू एंड आई आर ट्रूली रिमार्केबल को भी प्रदर्शित किया। कलाकार ह्यो दासोम ने प्राचीन संस्कृत लिपियों को आधुनिक शैली में पुनःव्याख्यायित करते हुए 40 डिजिटल आर्टवर्क प्रस्तुत किए।

भारतीय कलाकार रीका नार्तियांग ने पारंपरिक कोरियाई मुखौटों से प्रेरित टेक्सटाइल आर्ट, हैंबोक और कोरियाई दृश्यों पर आधारित पेन‑एंड‑इंक तथा वॉटरकलर कार्य प्रदर्शित किए। समिद्धा चौधरी ने कोरियाई पारंपरिक संस्कृति को दर्शाती छह सिरेमिक कृतियां, कोरियाई स्ट्रीट फूड पर आधारित डिजिटल आर्ट सीरीज और कोरिया के विभिन्न दृश्यों को दर्शाती पेन ड्रॉइंग प्रस्तुत कीं।

यह प्रदर्शनी केवल यात्रा का दस्तावेज नहीं है, बल्कि दोनों देशों के लोगों, जीवन और परिदृश्यों को कलाकारों की नजर से देखने का अवसर देती है। बड़े आकार की पेंटिंग्स से लेकर छोटे कार्यों और थ्री‑डायमेंशनल आर्ट तक, यह प्रदर्शनी दर्शकों को भारत और कोरिया की एक साथ यात्रा कराने जैसा अनुभव प्रदान करती है।

कोरियन कल्चरल सेंटर इंडिया के निदेशक ह्वांग इल योंग ने कहा कि यात्रा कला की शुरुआत है और यह दुनिया की विविधता को समेटती है। हमें उम्मीद है कि यह प्रदर्शनी, जिसमें कोरियाई और भारतीय कलाकारों ने एक‑दूसरे के देशों को अपनी कला के माध्यम से समझा, हमारे सांस्कृतिक आदान‑प्रदान को एक नया आयाम देगी। विशेष रूप से हम चाहते हैं कि भारतीय युवा, जो पहले से ही के‑पॉप और के‑ड्रामा के माध्यम से कोरियाई संस्कृति से जुड़े हैं, कोरिया की परंपराओं और भावनात्मक दुनिया को और गहराई से समझ सकें।