क्या एशले के जासूसी मामले से अमेरिका-चीन में बढ़ेगा तनाव? रोबिंदर सचदेव ने बताया भारत पर कितना होगा असर

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नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय मूल के अमेरिकी विशेषज्ञ एशले टेलिस की गिरफ्तारी को लेकर आईएएनएस से बातचीत करते हुए भारत में विदेश नीति के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव ने कहा कि इस घटना का भारत और अमेरिका के संबंध पर क्या असर पड़ेगा।

अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारी पर गोपनीय दस्तावेजों को हटाने और चीनी अधिकारियों से मिलने के आरोप के मामले को लेकर विदेश नीति के एक्सपर्ट रोबिंदर सचदेवा ने कहा, “एशले की गिरफ्तारी वाकई बेहद चौंकाने वाली है। हमें अभी तक मामले का पूरा आधार नहीं पता है, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके पास कुछ ऐसे गोपनीय दस्तावेज थे, जो उनके पास नहीं पहुंचने चाहिए थे। ये दस्तावेज कथित तौर पर अमेरिकी सरकार के भारत के साथ संबंधों से संबंधित हैं, जिसमें अमेरिका-भारत परमाणु समझौते के पहलू भी शामिल हैं। एशले ने प्रशासन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उन्हें अमेरिका में एक सम्मानित व्यक्ति माना जाता था। इसलिए, यह घटनाक्रम बिल्कुल अप्रत्याशित है। हालांकि, ऐसा लगता है कि उन्होंने ऐसी गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग किया होगा जो उनके पास नहीं होनी चाहिए थी।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या जासूसी का मामला है या सिर्फ सुरक्षा चूक का, इसपर भारतीय एक्सपर्ट ने कहा, “मैं इस समय इसे जासूसी का मामला नहीं मानता। मैं इसे शायद एक सुरक्षा चूक या निश्चित रूप से एक चूक मानता हूं। हां, हो सकता है कि वे उन अति-गोपनीय दस्तावेजों तक पहुंच रहे हों जिन्हें उन्हें घर नहीं ले जाना था। मुझे लगता है कि इस समय यह जासूसी का मामला कम है, क्योंकि वे चीनियों को सामग्री और जानकारी देने के लिए ऐसा कर रहे थे। हालांकि, इस पहलू की जांच हो रही है। बताया गया है कि उन्होंने चीनी अधिकारियों के साथ बैठकें की हैं, उन्हें कुछ कागजात और कुछ उपहार दिए हैं, इसलिए मुझे लगता है कि यह जांच पर निर्भर करेगा।”

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक विश्वसनीयता को प्रभावित करने के सवाल को लेकर उन्होंने कहा कि यह घटना अमेरिका और ट्रंप सरकार द्वारा सूचना के किसी भी लीक को रोकने के लिए इंफोसिस की बढ़ती पहल को दर्शाती है, जो राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड द्वारा अपनाई गई है। उन्होंने पिछले कुछ हफ़्तों में बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि सुरक्षा दस्तावेजों के किसी भी दुरुपयोग को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा, इसलिए यह एक बहुत ही हाई-प्रोफाइल मामला प्रतीत होता है, जहां एक वरिष्ठ अधिकारी को गुप्त दस्तावेजों के दुरुपयोग के लिए गिरफ्तार किया जा रहा है।

भारत-अमेरिका के रणनीतिक संबंध पर प्रभाव को लेकर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इससे भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई असर पड़ेगा। एशले भारतीय मूल के हैं और दरअसल, एक समय अमेरिका-भारत परमाणु समझौता हो रहा था और मुझे अमेरिका में अमेरिका-भारत परमाणु समझौते के लिए काम करने वाले दस सबसे प्रभावशाली भारतीयों में गिना जाता था। इस मामले में, उन पर आरोप निश्चित रूप से चीनी अधिकारियों से मिलने का है। इसलिए इसका भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अगर ऐसा होता कि वे भारतीय अधिकारियों से मिल रहे होते, तो यह भारत के लिए एक बहुत ही जटिल मामला बन जाता, लेकिन यहां उन पर जासूसी का जो भी आरोप लगाया गया है, वह चीनियों के लिए होगा, इसलिए इसका अमेरिकी संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही तनाव की स्थिति है। ऐसे में अमेरिका-चीन को लेकर उन्होंने कहा कि यह मामला चीन की ओर से कुछ बयानबाजी को जन्म दे सकता है। अगर अमेरिका चीन के लिए जासूसी करने का आरोप लगाता है, तो चीन निश्चित रूप से पलटवार करेगा और कहेगा कि नहीं, यह जासूसी नहीं थी। वह कहेगा कि हम बस मिल रहे थे, इसलिए इसका कुछ हद तक अमेरिका-चीन संबंधों पर असर जरूर पड़ेगा, लेकिन भारत पर नहीं, खासकर चीन और अमेरिका के बीच।