लौरिया विधानसभा सीट : कभी कांग्रेस का गढ़, अब भाजपा का मजबूत किला

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लौरिया, 2 अगस्त (आईएएनएस)। पश्चिम चंपारण जिले में स्थित लौरिया विधानसभा क्षेत्र कभी कांग्रेस पार्टी का मजबूत गढ़ हुआ करता था, लेकिन समय के साथ यहां राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं। 1957 से लेकर 2000 तक कांग्रेस ने इस सीट से कुल सात बार जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2000 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की पकड़ इस सीट पर ढीली पड़ गई और इसके बाद से जेडीयू और भाजपा ने यहां लगातार दबदबा बनाए रखा। 2010 में जरूर एक बार निर्दलीय उम्मीदवार विनय बिहारी ने जीत दर्ज की, लेकिन बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए और वर्तमान में भी लौरिया से भाजपा के विधायक हैं।

लौरिया विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक पृष्ठभूमि जितनी समृद्ध रही है, उसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र पहले अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इसे सामान्य श्रेणी में शामिल किया गया।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, लौरिया विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी 4,40,557 है, जिसमें 2,34,543 पुरुष और 2,06,014 महिलाएं शामिल हैं। 1 जनवरी 2024 की अर्हता तिथि के अनुसार तैयार की गई प्रस्तावित अंतिम मतदाता सूची में कुल मतदाताओं की संख्या 2,62,111 है, जिनमें 1,38,157 पुरुष और 1,23,953 महिला मतदाता हैं।

लौरिया विधानसभा क्षेत्र में योगापट्टी सामुदायिक विकास खंड के साथ-साथ लौरिया प्रखंड की 17 ग्राम पंचायतें शामिल हैं। इनमें सिसवनिया, कटैया, मरहिया पकरी, मठिया, लौरिया, बेलवा लखनपुर, गोबरौरा, बहुअरवा, धोबनी धर्मपुर, धमौरा, दनियाल प्रसौना, साथी, सिंहपुर सतवरिया, बसंतपुर और बसवरिया परौतोला प्रमुख हैं।

इतिहास की दृष्टि से लौरिया अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। लौरिया प्रखंड के नंदनगढ़ में नंद वंश और चाणक्य द्वारा बनवाए गए महलों के अवशेष आज भी टीलेनुमा संरचना के रूप में मौजूद हैं। यह माना जाता है कि यह स्थल भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेषों पर बने स्तूप का स्थान भी है।

नंदनगढ़ से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित लौरिया में मौर्य सम्राट अशोक द्वारा स्थापित एक विशाल स्तंभ मौजूद है, जो लगभग 2300 वर्ष पुराना है। यह स्तंभ 35 फीट ऊंचा और लगभग 34 टन वजनी है, जिसका आधार 35 इंच तथा शीर्ष 22 इंच चौड़ा है।