नई दिल्ली, 1 जुलाई (आईएएनएस)। लिपिया अल्बा, जिसे स्थानीय भाषा में ‘बुश मिंट’ या ‘सांता मारिया’ के नाम से जाना जाता है, एक औषधीय पौधा है, जो भारत के साथ ही दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका में भी पाया जाता है। अपनी सुगंध और औषधीय गुणों के लिए मशहूर इस पौधे का आयुर्वेद में खासा स्थान है। इसके पत्ते, तने और फूल कई स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में कारगर हैं।
लिपिया अल्बा पर हुए शोध के अनुसार, एंटीमाइक्रोबियल, सूजन-रोधी और तनाव कम करने में सहायक हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसीन साइंस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, लिपिया अल्बा का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में हो रहा है। यह पौधा आसानी से उगाया जा सकता है और इसके लाभ सस्ते और प्राकृतिक उपचार के रूप में उपलब्ध हैं। अपने औषधीय गुणों और रासायनिक यौगिकों के कारण दवा, कृषि और खाद्य उद्योग में महत्वपूर्ण है। इसके सरल उपयोग और प्रभावी गुण इसे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक प्राकृतिक खजाना बनाते हैं।
अध्ययनों में इसके गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव और न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव देखे गए हैं। विशेष रूप से इसके तेल को स्टैफिलोकोकस और डेंगू मच्छरों के खिलाफ प्रभावी पाया गया है।
पौधा लिपिया अल्बा का काढ़ा अपच, गैस, दस्त और पेट की ऐंठन में राहत देता है। इसमें मौजूद सिट्रल और लिमोनेन जैसे यौगिक पाचन को बेहतर बनाते हैं। यह चिंता और अनिद्रा को कम करता है। पत्तियों की चाय या आवश्यक तेल अरोमाथेरेपी में भी उपयोगी हैं। इसके साथ ही खांसी, जुकाम और अस्थमा में इसके पत्तों की भाप या काढ़ा फायदेमंद हो सकता है। यह बुखार कम करने और जोड़ों के दर्द में राहत देता है। पत्तियों का लेप सूजन को कम करता है। इसके एंटीमाइक्रोबियल गुण त्वचा के संक्रमण को ठीक करते हैं और तेल मच्छरों को भगाने में प्रभावी हैं।
यही नहीं, लिपिया अल्बा महिलाओं के लिए भी काफी फायदेमंद है। यह मासिक धर्म की ऐंठन और अनियमितता को दूर करने में मदद करता है।
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, लिपिया अल्बा की चाय, इसका तेल त्वचा पर लगाया जा सकता है या भाप के रूप में उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह के बिना इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।