लोकतंत्र में विपक्ष को सुनना सरकार की जिम्‍मेदारी: नीरज कुशवाहा

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नई दिल्‍ली, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र के शुरुआती भाषण में कहा कि ड्रामा नहीं, डिलीवरी चाहिए और नारा नहीं, नीति चलेगी। इस दौरान उन्‍होंने चुनाव में लगातार विपक्ष की हार को लेकर कहा कि वह परफॉर्म करने के लिए टिप्‍स देने को तैयार हैं। इस पर समाजवादी पार्टी के नेता नीरज कुशवाहा मौर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री संसद में बतौर एक राजनीतिक पार्टी के नेता बनकर बोल रहे थे।

इस पर समाजवादी पार्टी के नेता नीरज कुशवाहा मौर्य ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि पीएम मोदी देश के प्रधानमंत्री की भूमिका में कम और राजनीतिक नेता के तौर पर ज्‍यादा नजर आ रहे थे। संसद में जब वह बोलते हैं तो लोग बतौर प्रधानमंत्री उनको सुनते हैं, इसलिए यह टिप्‍स देना उनका अहंकार है। सत्ता हमेशा किसी की नहीं रहती है। लोकतंत्र में विपक्ष को सुनना सरकार की जिम्‍मेदारी है।

असम सरकार के एक से ज्‍यादा शादी करने वाले बिल पास करने पर नीरज कुशवाहा मौर्य ने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है जो हमारे समाज से जुड़ा है। हमारे समुदाय में ऐसी प्रथाओं को कभी मंजूरी नहीं मिली है, और अगर इनमें कोई शामिल होता है तो उसे समाज की नाराजगी झेलनी पड़ती है, इसीलिए यह कानून बनाया गया है। कोई इसे लागू करे या न करे, समाज खुद कानून का पालन करता है, और हमारे समुदाय में कोई भी ऐसी प्रथाओं को स्वीकार नहीं करेगा।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य के ज‍ाति आरक्षण पर दिए गए बयान को लेकर नीरज कुशवाहा मौर्य ने कहा कि अगर रामभद्राचार्य रिजर्वेशन खत्म करना चाहते हैं तो उन्हें पहले चुनाव लड़ना चाहिए और पार्लियामेंट में आना चाहिए। उन्हें पार्लियामेंट में आने दें, और उसके बाद ही नियमों और कानूनों के बारे में बात करें। वे न तो कोई पॉलिटिकल एक्सपर्ट हैं और न ही कोई बड़े पॉलिटिकल लीडर। इसलिए, मैं उन्हें सलाह दूंगा कि वे अपने काम पर ध्यान दें और पॉलिटिकल सलाह इस देश के उन बहुत से लोगों पर छोड़ दें जो इसके काबिल हैं।

एसआईआर की डेडलाइन बढ़ाने पर नीरज कुशवाहा मौर्य ने कहा कि दिया गया सात दिन का समय काफी नहीं है। उत्तर प्रदेश के हर जिले में एसआईआर का रिवीजन जो 4 नवंबर से शुरू होना था, वह देर से शुरू हुआ क्योंकि बीएलओ को फॉर्म नहीं मिले, और जब मिले भी, तो कई लोग उन्हें पूरा नहीं कर पाए। इसलिए सात, आठ, या दस दिन पहले ही बीत चुके हैं। मैं चुनाव आयोग और सरकार दोनों से आग्रह करूंगा कि वे यह पक्का करें कि एसआईआर पूरी ईमानदारी से किया जाए और इसके लिए सदन में चर्चा होनी चाहिए।