यूनिसेफ की राशि का ‘वोट बैंक’ के लिए दुरुपयोग का गंभीर आरोप, मध्य प्रदेश और बिहार सरकार घेरे में

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भोपाल : 24 नवंबर/ भारत में महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए दी जाने वाली अंतरराष्ट्रीय राशि को सत्ता हासिल करने के लिए ‘वोट खरीद’ में इस्तेमाल करने का गंभीर आरोप लगा है। संयुक्त क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक किशोर समरीते ने मध्य प्रदेश और बिहार की सरकारों पर यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष) द्वारा दी गई राशि का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए एक बड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया है।

समरीते के अनुसार, यूनिसेफ से मिली वह राशि, जो विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए थी, उसे मध्य प्रदेश और बिहार में चुनावी लाभ हासिल करने के लिए सीधे महिलाओं के बैंक खातों में नकद हस्तांतरण के जरिए बांटा गया।

मध्य प्रदेश: ‘लाड़ली बहना’ योजना में आरोपों का निशाना
किशोर समरीते का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2023 से 2025 तक, यूनिसेफ की राशि का इस्तेमाल ‘लाड़ली बहना योजना’ के तहत करीब 1.26 करोड़ महिलाओं को 1,250 रुपये प्रति माह देने के लिए किया। उनका आरोप है कि यह भुगतान वास्तव में विधानसभा चुनावों में महिला वोटरों को लुभाने और ‘वोट खरीदने’ की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था।

इस संदर्भ में उन्होंने मध्य प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग पर सीधा आरोप लगाया है कि उनके निर्देशन में यह राशि महिलाओं के खातों में डाली गई।

बिहार: महिला रोजगार योजना में भी उठे सवाल
मध्य प्रदेश के साथ-साथ बिहार सरकार भी इस आरोप के दायरे में है। समरीते के मुताबिक, बिहार में ‘महिला रोजगार योजना’ के नाम पर 21 लाख महिलाओं के खातों में 10,000-10,000 रुपये डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए भेजे गए। आरोप है कि यह राशि भी बिहार में महिला वोटरों का समर्थन हासिल करने के मकसद से बांटी गई, जो यूनिसेफ के फंड के दुरुपयोग का गंभीर मामला है।

कर्ज के बोझ के बावजूद ‘वोट के लिए पैसा बहाने’ का आरोप
किशोर समरीते ने इस मामले को और गंभीर बताते हुए कहा कि मध्य प्रदेश पर चार लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है, जो लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने सवाल उठाया, “इतने भारी कर्ज के बावजूद, सरकार का फोकस वोट खरीदने के लिए पैसे बांटने पर क्यों है?” यह सवाल राज्य सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं पर एक बड़ा निशान खींचता है।

इन गंभीर आरोपों के मद्देनजर, किशोर समरीते ने सीधे यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने निम्नलिखित मांगें रखी हैं. मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव (महिला एवं बाल विकास) और बिहार के मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव (महिला एवं बाल विकास) के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन की जांच कराई जाए। भारत सरकार के सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के खिलाफ भी इस मामले की जांच हो। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा एक स्वतंत्र जांच दल भेजकर मध्य प्रदेश और बिहार में यूनिसेफ की राशि के दुरुपयोग की विस्तृत जांच कराई जाए।

यह आरोप न सिर्फ दो राज्यों की सरकारों, बल्कि केंद्र सरकार और एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करते हैं। अब नजर यूनिसेफ और संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया पर टिकी है। क्या वे इस मामले में जांच कराएंगे? क्या इससे अंतरराष्ट्रीय सहायता राशि के उपयोग पर सवाल खड़े होंगे? ये सभी सवाल आने वाले दिनों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गूंज सकते हैं। अभी तक मध्य प्रदेश और बिहार सरकार की ओर से इन आरोपों पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।