भोपाल, 25 अगस्त (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई थी, मगर डेढ़ साल बाद ही उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा था। अब यही घटनाक्रम कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह, के बीच जिरह का विषय बन गया है।
दरअसल, वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को डेढ़ दशक बाद सत्ता हासिल हुई थी, मगर 15 माह बाद ही 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी के चलते 22 विधायकों ने पार्टी छोड़ी और सरकार गिर गई थी। इस पूरे घटनाक्रम पर अब दो बड़े नेता अपनी राय खुलकर जाहिर कर रहे हैं।
बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक मीडिया हाउस से बातचीत में कांग्रेस की सरकार गिरने का जिक्र किया। इतना ही नहीं, उन्होंने यहां तक कहा कि कमलनाथ, सिंधिया और उनकी एक बड़े उद्योगपति की मौजूदगी में चर्चा हुई थी। बाद में ग्वालियर-चंबल इलाके से जुड़े कुछ नेताओं की नियुक्ति पर सहमति बनी और उस पर सिंधिया तथा दिग्विजय सिंह ने हस्ताक्षर कर कमलनाथ को सूची सौंपी, मगर उस पर अमल नहीं हुआ। सरकार गिरने की बड़ी वजह यह घटनाक्रम बना।
वहीं, कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह के बयान पर पलटवार किया है और कहा है कि मध्य प्रदेश में 2020 में मेरे नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिराने को लेकर हाल ही में कुछ बयानबाजी की गई है। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि पुरानी बातें उखाड़ने से कोई फायदा नहीं, लेकिन यह सच है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराजगी में उन्होंने कांग्रेस की विधायक तोड़ा और हमारी सरकार गिराई।
कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के यह बयान सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बने हुए हैं, वहीं कांग्रेस के नेता बढ़ती बयानबाजी से चिंतित हैं। भाजपा इन नेताओं के बयान पर चुटकी ले रही है।
भाजपा प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि कमलनाथ ने स्वीकार कर लिया है कि ‘श्रीमान बंटाधार’ ने ही उनकी सरकार का बंटाधार किया था। दिग्विजय सिंह ही उनकी सरकार को चला रहे थे। यह सच्चाई भी प्रमाणित हो गई है कि भाजपा पर सरकार गिराने का आरोप झूठा था। सच्चाई स्वीकारने के लिए कमलनाथ को बहुत-बहुत बधाई।
–आईएएनएस
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