रांची, 30 जुलाई (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में महिलाओं एवं नाबालिगों के साथ दुष्कर्म और प्रताड़ना की घटनाओं पर रोक के लिए सरकार के प्रयासों को नाकाफी बताया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गहरी नाराजगी जताई है।
कोर्ट ने महिला एवं बच्चों की सुरक्षा के संबंध में राज्य सरकार की ओर से दायर शपथ पत्र पर असंतोष जाहिर करते हुए मौखिक रूप से कहा कि सरकार अदालत के आदेशों का अनुपालन नहीं कर रही है, बल्कि सिर्फ औपचारिकता निभा रही है।
पीठ ने कहा कि इतने संवेदनशील मामले में भी सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही है, जो चिंता का विषय है। कोर्ट ने राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे 11 सितंबर 2024 और जनवरी 2025 को पारित कोर्ट के पूर्व आदेशों के अनुपालन में ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। साथ ही सभी जिलों के प्रधान एवं सत्र न्यायाधीशों को अपने-अपने क्षेत्र के किशोर सुधार गृहों का निरीक्षण कर रिपोर्ट कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया गया।
याचिकाकर्ता कौशल भारती की ओर से अदालत को बताया गया कि बच्चों, विशेष रूप से बच्चियों की सुरक्षा के लिए स्कूलों में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने केवल दिखावे के लिए जवाब दाखिल किया है, जबकि वास्तविकता यह है कि न तो व्यवस्था में सुधार हुआ है और न ही सुरक्षा उपायों में ईमानदारी दिखाई दे रही है।
दरअसल, हाई कोर्ट ने पूर्व में राज्य सरकार को महिला और बच्चों की सुरक्षा के मुद्दे पर करीब पांच बिंदुओं पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसमें राजधानी के प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने और खराब कैमरों की मरम्मत, स्कूल बसों में महिला स्टाफ की तैनाती, स्कूलों में कंप्लेन बॉक्स रखने, महिलाओं और बच्चों के लिए इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबरों का प्रचार-प्रसार करने जैसे निर्देश शामिल थे।