मुंबई, 23 जून (आईएएनएस)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व सांसद आनंद परांजपे ने मराठी भाषा और महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के प्रति महायुति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है। उन्होंने सोमवार को कहा कि मराठी भाषा को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाने वाला कोई फैसला महायुति सरकार द्वारा नहीं लिया जाएगा।
तीन भाषा नीति पर एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व सांसद आनंद परांजपे ने कहा कि मराठी महाराष्ट्र की भाषा है और महायुति सरकार कभी भी ऐसा कोई फैसला नहीं लेगी, जिससे मराठी भाषा को नुकसान पहुंचे। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि यह हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे, जिन्होंने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तीसरी भाषा का प्रावधान है, जिसमें हिंदी भी शामिल है। इसलिए महायुति सरकार किसी भी तरह से मराठी को खत्म करने का काम नहीं कर रही है।
परांजपे ने कहा कि कक्षा पहली से पांचवीं तक महाराष्ट्र के स्कूलों में मराठी को अनिवार्य विषय के रूप में लागू करने का प्रावधान है। जीआर का अध्ययन करें तो साफ है कि मराठी को अनिवार्य किया गया है। यह आरोप निराधार हैं कि मराठी को खत्म किया जा रहा है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत त्रिभाषा नीति का जिक्र करते हुए परांजपे ने बताया कि इसमें तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को विकल्प के तौर पर शामिल किया गया है। हालांकि अगर किसी स्कूल में 20 या अधिक छात्र किसी अन्य भारतीय भाषा जैसे संस्कृत, तेलुगु, तमिल आदि सीखना चाहते हैं, तो स्कूल को शिक्षक उपलब्ध कराने या ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी दी गई है। महायुति सरकार मराठी भाषा को खतरे में डालने का कोई काम नहीं कर रही है। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार रात को एक विशेष बैठक भी बुलाई थी, जिसमें त्रि-भाषा नीति पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।
परांजपे ने समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी के हालिया बयानों की भी कड़ी निंदा की। उन्होंने हमला बोलते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी हमेशा से हिन्दू मुस्लिम का तुष्टिकरण करते आए हैं। महाराष्ट्र में जब भी शांतिपूर्ण वातावरण रहता है तो ऐसे विवादित बयान देने के लिए अबू आजमी प्रसिद्ध है। पंढरपुर वारी 800 साल की परंपरा का इतिहास है, जो संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम की परंपरा से जुड़ी है, महाराष्ट्र की धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान है। इस यात्रा में सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं, जिसमें मुस्लिम समुदाय भी सेवा कार्य करता है।
उन्होंने कहा कि आजमी के विवादित बयान महाराष्ट्र की शांतिपूर्ण परंपरा को खराब करने की कोशिश हैं। मैं सरकार से मांग करता हूं कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
परांजपे ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती साख का भी जिक्र किया। उन्होंने ऑपरेशन सिंधु का उदाहरण देते हुए कहा कि इजरायल में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए भारत सरकार ने त्वरित कार्रवाई की है। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के प्रयासों की सराहना करता हूं। ईरान के राष्ट्रपति का प्रधानमंत्री मोदी से 35 मिनट तक फोन पर बात करना यह दर्शाता है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत और हमारे प्रधानमंत्री की कितनी मजबूत छवि है।
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी द्वारा ईरान को समर्थन देने संबंधी पत्र पर टिप्पणी करते हुए परांजपे ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री मोदी विचार-विमर्श के बाद लेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध जल्द खत्म हो, इसके लिए भारत की ओर से शांति की पहल जारी रहेगी।
परांजपे ने पाकिस्तानी कलाकारों को भारतीय फिल्मों में शामिल करने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियों के बावजूद कुछ भारतीय निर्माता पाकिस्तानी कलाकारों को अपनी फिल्मों में लेते हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे कलाकारों की फिल्में भारत में प्रदर्शित नहीं होनी चाहिए, क्योंकि देश सर्वोपरि है।