रायपुर
कांग्रेस अध्यक्ष पद से बुरी तरह अपमानित करके प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को निकाला जाना निंदनीय है। यह इसलिए भी और अधिक निंदनीय है क्योंकि वे कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने का काम कर रहे थे। प्रदेश की जनता विशेषकर आदिवासी, पिछड़ों के हक का हिस्सा लूट लेने का वे विरोध करते रहे थे। दुखद यह है कि कांग्रेस की न तो भारत के संविधान में आस्था है न ही पार्टी में संविधान है। मरकाम कांग्रेस के संविधान के तहत प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए ही पार्टी चला रहे थे, उनके आदेश के विरुद्ध संविधानेत्तर आदेश निकाल देना, अन्य तरह से भी लगातार अपमानित करना, अपनी टीम तक उन्हें नहीं बनाने देना, फोटो तक उनका नहीं छपने देना कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र की हत्या है। इसे सहन नहीं किया जाना चाहिये। कांग्रेस में केवल शराब घोटाले का सिंडिकेट ही नहीं है बल्कि वह अपने इतिहास की तरह ही इंडिकेट और सिंडिकेट में बंट गया है। उक्त बातें भाजपा के वरिष्ठ नेताम राम विचार नेताम ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहीं।
नेताम ने कहा कि मरकाम के अपमान से समाज में फैले आक्रोश को मैनेज करने उन्हें मंत्री पद का झुनझुना थमाने की कोशिश है। टी. एस. सिंहदेव की तरह ही इस झुनझुना का उनके लिए क्या उपयोग होगा आखिर? जो भी विभाग उन्हें दिये जायेंगे, उसे समझने में ही नये मंत्री के रूप में उन्हें काफी समय लगेगा। ऐसे में उन्हें मंत्री पद की शपथ दिला कर वास्तव में उन्हें उस भ्रष्टाचार कैबिनेट का हिस्सा बना देने की साजिश है जिस कैबिनेट के भ्रष्टाचार का वह विरोध कर रहे थे। कांग्रेस के कका पूरी तरह अब मोहन पक्ष के लिये धृतराष्ट्र बन गये हैं। छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में कांग्रेस की सरकार ने भ्रष्टाचार करने के लिए जिला निर्माण समिति बना रखी है जिसके अध्यक्ष जिले के कलेक्टर होते हैं और उनके द्वारा करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार कांग्रेस की सरकार द्वारा कराए जा रहे हैं इन समितियों में बिना टेंडर के भी कार्य किए जा रहे हैं यह सरगुजा से लेकर बस्तर तक बड़ा भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है ज्यादातर माइनिंग के राशि इसी माध्यम से खर्च हो रहे हैं।