नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)। नरेन तम्हाने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज थे। तेज रिफ्लेक्स और शानदार स्टंपिंग के लिए पहचान बनाने वाले तम्हाने की तुलना ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर वैली ग्राउट से होती थी। नरेन का योगदान भारतीय क्रिकेट में अहम रहा है।
4 अगस्त 1931 को बॉम्बे के एक जमींदार परिवार में जन्मे नरेन तम्हाने के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे।
यूं तो नरेन गेंदबाज थे, लेकिन क्लब में विकेटकीपर की गैरमौजूदगी में उन्हें दस्ताने पहनने पड़े। नई भूमिका ने नरेन की किस्मत ही बदल दी।
नरेन ने 1951/52 में फर्स्ट क्लास करियर की शुरुआत की थी। तम्हाने 1952-53 में रोहिंटन बारिया ट्रॉफी में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी थे। उन्होंने 68.20 की औसत से 341 रन बनाए। तम्हाने ने दिल्ली विश्वविद्यालय के खिलाफ फाइनल मैच में 29 और 73 रन की पारी खेली थी।
अगले सीजन उन्हें फ्रैंक वॉरेल की कॉमनवेल्थ इलेवन के खिलाफ अनौपचारिक ‘टेस्ट’ के लिए ऑल-इंडिया टीम में चुना गया। उसी साल नरेन ने रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया, जिसके बाद उन्हें जनवरी 1955 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका मिला।
नरेन तम्हाने अपने डेब्यू टेस्ट मैच में बतौर विकेटकीपर पांच शिकार करने वाले चुनिंदा भारतीय खिलाड़ियों में से एक हैं।
नरेन तम्हाने ने अपना पहला इंटरनेशनल मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला। उन्होंने पड़ोसी देश की पहली पारी में तीन कैच लपकने के साथ एक खिलाड़ी को स्टंप आउट किया। अगली पारी में उन्होंने एक और स्टंपिंग की। यह मैच ड्रॉ रहा था।
नरेन तम्हाने उस दौर में प्रोबीर सेन और फारुख इंजीनियर के बीच सबसे बेहतरीन भारतीय विकेटकीपर्स में शुमार थे।
नरेन तम्हाने ने भारत की ओर से 21 टेस्ट खेले, जिसमें एक अर्धशतक के साथ 225 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 35 कैच और 16 स्टंपिंग की।
नरेन की तुलना ऑस्ट्रेलिया के महानतम विकेटकीपर में शुमार वैली ग्राउट से की जाती है। यह नरेन की काबिलियत को दर्शाता है। ग्राउट एक ऐसे विकेटकीपर रहे जिन्हें साल 2016 में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था। ग्राउट ने दिसंबर 1957 से फरवरी 1966 के बीच 51 टेस्ट में 163 कैच लपकने के साथ 24 स्टंपिंग की थी।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा नरेन ने फर्स्ट क्लास करियर में कुल 93 मुकाबले खेले, जिसमें एक शतक और पांच अर्धशतक के साथ 1,459 रन अपने खाते में जोड़े। नरेन ने फर्स्ट क्लास करियर में 174 कैच लपकने के अलावा 79 स्टंपिंग की। 19 मार्च 2002 को 71 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।