नए लेबर कोड: खड़गे के आरोपों पर मांडविया का पलटवार, ‘कांग्रेस भ्रम फैला रही है’

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नई दिल्ली, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। नए लेबर कोड को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर केंद्रीय श्रम और रोजगार तथा खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने पलटवार किया है।

केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया पर खड़गे के आरोपों को “भ्रामक और असत्य” बताते हुए कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए श्रम सुधार मजदूरों की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और रोजगार सृजन को मजबूत करने के लिए हैं।

मांडविया ने एक्स पर लिखा, “खरगे जी, लेबर कोड को लेकर आपने जो भी कहा वह ग़लत और भ्रामक है। ये तथ्य आपकी झूठी बातों को सामने लाते हैं।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विपक्ष जानबूझकर डर फैला रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि कर्मचारियों को अनिवार्य एक महीने की नोटिस अवधि और रिट्रेंचमेंट मुआवजा पहले की तरह जारी रहेगा। पहली बार री-स्किलिंग फंड बनाया गया है, जिसके बारे में कांग्रेस ने कभी सोचा तक नहीं। थ्रेशोल्ड बढ़ाने से सीधे नियुक्ति बढ़ेगी, ठेकेदारी पर निर्भरता घटेगी और स्थायी और सुरक्षित नौकरियां बढ़ेंगी, जिससे सामाजिक सुरक्षा और वेतन सुरक्षा मजबूत होगी। फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के सभी लाभ मिलेंगे। एफटीई को एक वर्ष में ग्रेच्युटी का लाभ देना भी मोदी सरकार की शुरुआत है।

मांडविया के अनुसार, कर्मचारी 12 घंटे × 4 दिन के विकल्प का चयन कर सकते हैं, जिसके बाद 3 दिन साप्ताहिक अवकाश मिलेगा। साप्ताहिक कार्य घंटे 48 घंटे से अधिक नहीं होंगे। अतिरिक्त कार्य केवल कर्मचारी की सहमति से और डबल ओवरटाइम भुगतान के साथ होगा।

मांडविया ने कहा कि कांग्रेस “60 दिन की प्रतीक्षा अवधि” जैसे झूठ फैला रही है, जबकि हड़ताल के लिए सिर्फ 14 दिन का नोटिस अनिवार्य है। इसका उद्देश्य फ्लैश स्ट्राइक रोकना है, ताकि मजदूरों की आय और उद्योगों की कार्यप्रणाली प्रभावित न हो। पहली बार ट्रेड यूनियन को कानूनी रूप से ‘नेगोशिएटिंग यूनियन’ का दर्जा मिला है, जिससे सामूहिक सौदेबाजी और मजबूत होगी।

मांडविया ने कहा कि नए लेबर कोड गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स सहित 40 करोड़ असंगठित मजदूरों को सुरक्षा के दायरे में लाते हैं। पत्रकार, बीड़ी मजदूर और अन्य सेक्टरों के सभी सुरक्षा प्रावधान जस के तस जारी हैं। पहली बार हर कर्मचारी के लिए नियुक्ति पत्र अनिवार्य किया गया है। गंभीर उल्लंघनों पर आपराधिक कार्रवाई जारी रहेगी, सिर्फ मामूली अपराधों को डी-क्रिमिनलाइज़ किया गया है ताकि त्वरित न्याय सुनिश्चित हो सके।

मांडविया ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल भी कई गैर-एनडीए राज्यों में पहले ही ऐसे संशोधन लागू करा चुके हैं। उन्होंने लिखा, “कांग्रेस, भाजपा से नफरत में इतनी नीचे गिर गई है कि अब वह श्रमिक कल्याण के खिलाफ खड़ी है। बिल्कुल शर्मनाक।”