रांची,16 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की जीत के बाद कांग्रेस नेता अतुल लोंढे पाटिल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद, जब 400 पार का लक्ष्य लेकर चल रही थी, भाजपा 200 सीटों पर सिमट गई, तभी से उनकी चुनावी रणनीति पूरी तरह बदल गई थी।
अतुल लोंढे पाटिल ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि एनडीए ने इस बार बिहार में चुनाव जीतने के लिए हर संभव हथकंडा अपनाया। अनुनय, सौदेबाजी, दबाव और विभाजन—किसी भी साधन को छोड़ा नहीं गया। यह कहना गलत नहीं होगा कि किसी भी तरह से यह चुनाव जीतने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों के बीच जनता ने जो भी फैसला किया है, पार्टी उसका सम्मान करती है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की हम अच्छी तरह से निभाना जानते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि महागठबंधन सकारात्मक एजेंडे के साथ चुनाव में उतरा था। हम कह रहे थे कि यह लड़ाई लोकतंत्र और संविधान को बचाने की है। महागठबंधन हर घर को एक सरकारी नौकरी देने का वादा कर रहा था। महिलाओं को उनके सम्मान के लिए 30,000 रुपए देने की योजना थी।
एआईसीसी नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने वादों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने याद दिलाया कि पीएम मोदी ने 2015 में कहा था कि मोतिहारी की बंद चीनी मिल से चीनी बनाकर चाय पीने का दिन जल्द आएगा, लेकिन दस साल बीत जाने के बाद भी उस दिशा में कोई ठोस काम नहीं हुआ है।
पाटिल ने बिहार में बढ़ती अपराध घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राज्य में दिनदहाड़े व्यवसायियों की हत्या हो रही है, अस्पतालों में घुसकर लोगों को मार दिया जा रहा है, और दलित लड़कियों के साथ दुष्कर्म जैसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। एक दलित लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ, उसे इलाज भी नहीं मिला और उसने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। इतने गंभीर मुद्दों के बाद भी जनता ने एनडीए को चुना, यह सोचने की बात है।
उन्होंने कहा कि युवाओं को नौकरी देने, पेपर लीक रोकने और पारदर्शी भर्ती प्रणाली लागू करने जैसे बड़े वादों के बावजूद महागठबंधन को जनता का समर्थन नहीं मिल पाया। पाटिल ने कहा कि यह परिणाम आत्ममंथन और गंभीर समीक्षा होनी चाहिए।

