मुंबई, 4 नवंबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अभिनेता परेश रावल भारतीय सिनेमा के उन कलाकारों में से हैं, जिन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा और अभिव्यक्ति के लिए हमेशा तारीफ पाई है। अभिनय की दुनिया में उनके योगदान के अलावा, वह अक्सर सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय भी रखते हैं।
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ के प्रमोशन के दौरान, परेश रावल ने अपने 2017 के एक वायरल पोस्ट के बारे में बात की, जिसने उस समय काफी सुर्खियां बटोरी थीं। यह पोस्ट तब का है, जब ताजमहल के इतिहास को लेकर लोगों के बीच विवाद और बहस चल रही थी।
बता दें कि 2017 में परेश रावल ने उन लोगों की आलोचना की थी, जिन्होंने ताजमहल को मुगल वास्तुकला का हिस्सा न मानकर उसके इतिहास पर सवाल उठाया था। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (तब ट्विटर) पर लिखा था कि ताजमहल, जो प्यार का प्रतीक है, अब नफरत का प्रतीक बन गया है। उन्होंने इसे ‘बेवकूफी भरा, अनावश्यक, दुखद और निराशाजनक विवाद’ करार दिया था।
इस पर परेश रावल ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, ”मेरा पोस्ट उस समय की मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया पर था। उस समय कुछ अखबारों और मीडिया हाउसों में यह दावा किया जा रहा था कि ताजमहल एक हिंदू स्मारक है। इस पर मैंने प्रतिक्रिया दी थी, साथ ही स्पष्ट किया कि मेरा उद्देश्य किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है। मैं बस उस बेकार विवाद के खिलाफ हूं, जो समाज में केवल नफरत फैलाता है।”
उन्होंने आगे कहा, “मेरी फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ में कोई हिंदू-मुस्लिम विवाद नहीं है। फिल्म का ध्यान केवल इतिहास पर है और मैंने इसे निष्पक्ष नजरिए से पेश किया है।”
परेश रावल ने कहा कि अगर कोई सवाल पूछता है तो उसे सांप्रदायिक करार दे दिया जाता है और यदि कोई जवाब देता है तो उसे प्रचारक मान लिया जाता है। यह फिल्म सिर्फ इतिहास और शिक्षा से जुड़े पहलुओं को उजागर करती है।
अभिनेता ने बताया, ”हमने शिक्षा बोर्ड और इतिहासकारों से सलाह ली है और यह जानने की कोशिश की है कि हमें क्यों गलत जानकारी सिखाई जाती रही है। 2017 में जो कुछ मैंने कहा था और अब जो फिल्म में कर रहा हूं, दोनों ही मेरे विचारों का हिस्सा हैं। मेरे लिए यह व्यक्तिगत राय का सवाल नहीं, बल्कि समाज और इतिहास के प्रति जिम्मेदारी का मामला है।”





