नागपुर, 22 जून (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी यह नहीं जानते कि कांग्रेस के शासन के दौरान भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, लेकिन अब चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “राहुल गांधी को नहीं पता कि ‘मेक इन इंडिया’ क्या है? हमारे देश में क्या-क्या बनता है, उन्हें यह भी नहीं मालूम है। शायद वह यह भी नहीं जानते कि कांग्रेस के शासन के दौरान भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी, लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में सिर्फ 10 वर्षों में भारत वैश्विक स्तर पर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। आने वाले दो सालों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। मुझे लगता है कि राहुल गांधी को अपना होमवर्क करना चाहिए।”
सीएम फडणवीस ने साल 2027 में नासिक में होने वाले महाकुंभ के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, “नासिक त्र्यंबकेश्वर में होने वाले महाकुंभ के रास्तों का एक नेटवर्क तैयार हो, इसके लिए मैंने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी। इसी के चलते आज केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक बैठक का नेतृत्व किया। उन्होंने इस बैठक में हमने 9 रास्तों की मांग की थी, जिसे उन्होंने मंजूर किया है।”
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ‘मेक इन इंडिया’ पर सवाल उठाए थे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “‘मेक इन इंडिया’ ने कारखानों को बढ़ाने का वादा किया था। फिर भी, विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) अपने सबसे निचले स्तर पर क्यों है, युवा बेरोजगारी रिकॉर्ड ऊंचाई पर क्यों है, और चीन से आयात दोगुना से ज्यादा क्यों हो गया है? पीएम मोदी ने नारों में महारत हासिल की है, समाधानों में नहीं। 2014 से विनिर्माण हमारी अर्थव्यवस्था का सिर्फ 14 प्रतिशत रह गया है।”
उन्होंने आगे कहा, “नई दिल्ली के नेहरू प्लेस में मैं शिवम और सैफ से मिला। वे प्रतिभाशाली, कुशल और उम्मीदों से भरे थे, फिर भी उन्हें अपनी क्षमता दिखाने का मौका नहीं मिला। सच कड़वा है: हम एसेंबल करते हैं, आयात करते हैं, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग नहीं करते। चीन मुनाफा कमा रहा है। नए विचारों के बिना पीएम मोदी ने हार मान ली है। चर्चित पीएलआई योजना को भी अब चुपचाप वापस लिया जा रहा है। भारत को बड़े बदलाव की जरूरत है, जो लाखों उत्पादकों को ईमानदार सुधारों और वित्तीय सहायता से सशक्त करे। हमें दूसरों का बाजार बनना बंद करना होगा। अगर हम यहां नहीं बनाएंगे, तो दूसरों से खरीदते रहेंगे। समय तेजी से बीत रहा है।”