राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस : बिधान चंद्र रॉय की सेवा और समर्पण आज भी करते हैं हर डॉक्टर को प्रेरित

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नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस)। डॉक्टर न सिर्फ लोगों की जान बचाते हैं, बल्कि चिकित्सा, सुरक्षा और समर्थन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी सेवा, समर्पण और करुणा के लिए हर साल 1 जुलाई को बिधान चंद्र रॉय की याद में ‘राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस’ मनाया जाता है।

बिधान चंद्र रॉय की गिनती देश के महान चिकित्सकों में की जाती है, जिनका विश्वभर में चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान रहा। बिधान चंद्र रॉय डॉक्टर के साथ-साथ समाजसेवी, आंदोलनकारी, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता भी थे।

उनका जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना जिले के बांकीपुर में हुआ। वह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। कहा जाता है कि अपने युवा दिनों में बिधान चंद्र रॉय ने एक शिलालेख देखा, जिस पर लिखा था, “जो कुछ भी तुम्हारे हाथ करने को मिले, उसे अपनी पूरी ताकत से करो।” इस वाक्य को उन्होंने अपने जीवन में पूरी तरह से आत्मसात कर लिया था।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता से की। वह चिकित्सा में आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए 1909 में ब्रिटेन चले गए। हालांकि, यहां पढ़ाई से पहले दाखिले के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। वाकया ये हुआ कि लंदन में पहले नस्लीय भेदभाव के कारण सेंट बार्थोलोम्यूज हॉस्पिटल में अंग्रेज डीन उनके आवेदन को लगातार खारिज करता रहा। हालांकि, बिधान चंद्र रॉय ने भी हठ पकड़ ली और उनके करीब 30 आवेदनों के बाद अंग्रेज डीन को दाखिला देना पड़ा।

उन्होंने 1911 में भारत लौटने के बाद अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में सेवाएं दीं। 1925 में चिकित्सा से राजनीति की राह पकड़ी और बैरकपुर से बंगाल विधान परिषद के लिए चुने गए। वह 1933 में जब तत्कालीन कलकत्ता के महापौर रहे, तो उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार किए।

अपनी कार्यशैली और समाज के प्रति जिम्मेदारी की बदौलत उनको महात्मा गांधी के करीबियों में जगह मिली। बाद में वो महात्मा गांधी के निजी चिकित्सक बन गए।

चिकित्सा और राजनीति की नब्ज पकड़कर वो बंगाल में मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए। 1948 में उन्हें पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि, मेडिकल के क्षेत्र में उन्होंने अपने कर्तव्यों को नहीं छोड़ा और कई प्रतिष्ठित संस्थानों की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई। इन कामों के लिए उन्हें 4 फरवरी 1961 को भारत रत्न सम्मान मिला।

संयोगवश 1962 में 1 जुलाई को ही बिधान चंद्र रॉय का निधन हुआ। इसके बाद डॉक्टर रॉय के सम्मान के रूप में 1991 से हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस की शुरुआत की गई थी।