RNTU में लैंगिक संवेदनशीलता और पेशेवर वातावरण में महिलाओं की चुनौतियां विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

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भोपाल : 4 अगस्त/ रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय (आरएनटीयू) के विधि संस्थान, नर्सिंग विभाग, और महिला विकास प्रकोष्ठ द्वारा “लैंगिक संवेदनशीलता और पेशेवर वातावरण में महिलाओं की चुनौतियों” पर केंद्रित एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य प्रतिभागियों को लैंगिक मुद्दों के प्रति जागरूक करना, भेदभाव और असमानता पर चर्चा करना और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए सहायक नीतियों और प्रथाओं को बढ़ावा देना था।

कार्यक्रम में बतौर अतिथि आईपीएस सुषमा सिंह, जम्मू विश्वविद्यालय में ह्यूमन डेवलपमेंट की प्रोफेसर डॉ. रजनी ढिंगरा, राज्य विधि महाविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जीतेंद्र गुप्ता, नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी में रिसर्च फैलो डॉ. सोनम जैन, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की प्रो. चांसलर डॉ. अदिति चतुर्वेदी, आरएनटीयू की कार्यवाहक कुलपति, डॉ. संगीता जौहरी उपस्थित रहे।

इस दौरान कार्यक्रम में डॉ. अदिति चतुर्वेदी ने उच्च शिक्षा की भूमिका को लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण बताया। आईपीएस सुषमा सिंह ने कानून प्रवर्तन में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की और प्रेरणादायक कहानियाँ साझा की। डॉ. रजनी ढींगरा ने लैंगिक संवेदनशीलता के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आयामों का पता लगाया और युवाओं को समुदाय में परिवर्तन के एजेंट बनने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. सोनम जैन ने कार्यस्थल में लैंगिक असमानताओं पर कानूनी ढांचे और न्यायिक दृष्टिकोण पर चर्चा की और आंतरिक शिकायत समितियों के कार्य और महत्व को विस्तार से बताया। डॉ. संगीता जौहरी ने विश्वविद्यालय की लैंगिक संवेदनशीलता के प्रति प्रतिबद्धता का परिचय दिया। डॉ. जीतेंद्र गुप्ता ने पेपर प्रस्तुतियों का मूल्यांकन किया और विषय पर अपने विचार साझा किए।

इससे पूर्व स्वागत सत्र में डॉ. निलेश शर्मा, डीन, विधि संस्थान, ने संगोष्ठी के विषय का परिचय दिया और सभी प्रतिष्ठित अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. नैश ज़मीर, चेयरपर्सन, महिला विकास प्रकोष्ठ और प्रमुख, विधि संस्थान, ने महिला विकास प्रकोष्ठ की पहलों पर अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम में विधि संस्थान और नर्सिंग विभाग के सभी संकाय सदस्य और महिला विकास प्रकोष्ठ के सभी सदस्य राष्ट्रीय संगोष्ठी में उपस्थित रहे। संगोष्ठी में इंटरएक्टिव सेगमेंट, शिक्षाविदों, शोधार्थियों, और छात्रों द्वारा प्रस्तुतियां और सर्वश्रेष्ठ पेपर प्रस्तुतियों की पहचान शामिल रही। कुल 57 पेपर प्रस्तुत किए गए, जिनमें से 15 को प्रस्तुति के लिए चुना गया। पीएचडी शोधार्थियों और स्नातक छात्रों के पेपर अलग-अलग मूल्यांकित किए गए।

पीएचडी शोधार्थियों के सर्वश्रेष्ठ पेपर:

प्रथम स्थान – ऐमान खान – “चिंता से बलात्कार तक: भारत में वैवाहिक बलात्कार की गतिशीलता को समझना”

द्वितीय स्थान – प्रार्थना शुक्ला – “भारतीय संविधान के माध्यम से लैंगिक समानता सुनिश्चित करना”

तृतीय स्थान – उर्वशी निर्मलकर – “महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा”

स्नातक छात्रों के सर्वश्रेष्ठ पेपर:

प्रथम स्थान – राजदीप गौड़ और आस्था नेमा – “भारत में वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने का प्रभाव”

द्वितीय स्थान – आदित्य सोनकर – “महिला उद्यमिता: चुनौतियाँ और संभावनाएँ”

तृतीय स्थान – सिमरन सिंह – “दहेज प्रथा और महिलाओं का शोषण”

संगोष्ठी का समापन विधि संस्थान की सहायक प्रोफेसर श्रीमती माधवी पाटकर द्वारा सभी वक्ताओं, अतिथियों और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए हुआ।