सहयोगी साथियों को समाप्त करना भाजपा का पुराना खेल: प्रियंका चतुर्वेदी

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नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने भाजपा पर सहयोगी दलों के साथ विश्वासघात का आरोप लगाया और तालिबान की महिला विरोधी मानसिकता की कड़ी आलोचना की। साथ ही, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हालिया बयान पर भी सवाल उठाए।

शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि भाजपा का गठबंधन करने और फिर साथियों को खत्म करने का इतिहास रहा है। बिहार में नीतीश कुमार के लिए पहले ने पहले दरवाजा बंद होने की बात कही, लेकिन बाद में उनके साथ मिलकर सरकार बना ली। भाजपा सहयोगियों के कंधों पर चढ़कर मजबूत होती है और बाद में उन्हें हाशिए पर धकेल देती है। चिराग पासवान के साथ अन्याय हुआ, उन्हें उनके घर और दल से बेदखल किया गया। जीतन राम मांझी जैसे नेता भी अब भाजपा से नाराज हैं।

उन्होंने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा ने शिवसेना के साथ गठबंधन कर सत्ता हासिल की, लेकिन बाद में “पीठ में खंजर घोंपकर” उसे कमजोर किया।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि घुसपैठ के कारण देश में मुस्लिम आबादी बढ़ रही है। उनके इस बयान पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि 2011 के बाद 2022 तक कोई जनगणना नहीं हुई, फिर गृहमंत्री बिना ताजा डेटा के ऐसे बयान कैसे दे रहे हैं? अगर 2022 के आंकड़े हैं, तो उन्हें चुनावी मंचों पर नहीं, बल्कि देश के सामने पेश करना चाहिए। भाजपा की राजनीति ध्रुवीकरण पर आधारित है और गृहमंत्री एक पक्ष की तरह बोल रहे हैं। जनता के सामने सच्चाई आनी चाहिए ताकि उकसावे की बजाय तथ्य स्पष्ट हों।

दिल्ली में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को बाहर रखने के मुद्दे पर भी प्रियंका चतुर्वेदी ने तालिबान की कड़ी आलोचना की।

उन्होंने कहा, “तालिबान की मानसिकता सभी जानते हैं। अफगानिस्तान में महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। यह शर्मनाक है कि अफगान दूतावास में महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया।”

उन्होंने आगे कहा कि मुझे उम्मीद है कि विदेश मंत्रालय इस पर संज्ञान लेगा और तालिबान को एक पत्र लिखकर इस मुद्दे पर बात करेगा, जिसमें कहा जाएगा कि हमारे देश में चलन और मानदंड हमारे संविधान के अनुसार हैं। हमारे यहां प्रेस की आजादी और समानता भी है। महिलाओं को समान दर्जा दिया गया है। उन्हें इस तरह से बाहर रखना बेहद शर्मनाक है।