सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर एलएएमए 2-सीएमडी के इलाज हेतु विशेष नीतिगत समर्थन की मांग की

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नई दिल्ली, 4 नवंबर (आईएएनएस)। दुर्लभ और जानलेवा आनुवंशिक विकार एलएएमए 2 संबंधित जन्मजात मसल्स डिसऑर्डर (एलएएमए 2-सीएमडी) से पीड़ित बच्चों के लिए उम्मीद जगाने की दिशा में, चांदनी चौक के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विशेष नीतिगत हस्तक्षेप और जल्द से जल्द स्वीकृति की अपील की है।

एलएएमए 2-सीएमडी दुनिया के सबसे दुर्लभ आनुवंशिक विकारों में से एक है, जो नवजात शिशुओं को प्रभावित करता है और उनकी मांसपेशियों की कार्यक्षमता को नष्ट कर देता है, जिससे वे चलने, हिलने-डुलने या सांस लेने में भी असमर्थ हो जाते हैं।

सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि उनके क्षेत्र की एक 20 माह की बच्ची इस बीमारी से जूझ रही है और पूरे देश में अब तक लगभग 60 बच्चे इस विकार से पीड़ित पाए गए हैं।

सांसद ने कहा कि भारत में आज चिकित्सा नवाचार में वही नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकता है, जैसी उसने कोविड-19 वैक्सीन विकास के दौरान निभाई थी। उन्होंने जापानी बायोटेक कंपनी मोडालिस थेरेप्यूटिक्स द्वारा विकसित एक नई सीआईआईएसपीआर आधारित जीन-एडिटिंग थेरेपी का उल्लेख किया, जिसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कम जोखिम वाली तकनीक के रूप में वर्गीकृत किया है।

सांसद खंडेलवाल का मानना है कि शीघ्र सरकारी हस्तक्षेप से भारत इस उपचार के मानव नैदानिक परीक्षण शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश बन सकता है।

उन्होंने अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से नई औषधि और नैदानिक परीक्षण नियम, 2019 के तहत पहले मानव परीक्षण को शीघ्र मंजूरी, डीसीजीआई और आईसीएमआर को मूल्यांकन और अनुमोदन प्रक्रिया को तेज करने, राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति, 2021 में एलएएमए 2-सीएमडी को अलग श्रेणी में शामिल कर आर्थिक सहायता 50 लाख रुपए से आगे बढ़ाने और भारतीय व वैश्विक जैव-प्रौद्योगिकी संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने की मांग की है।

खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह कदम भारत की स्वास्थ्य सेवा यात्रा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा।

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अपील करते हुए कहा, “जिस तरह भारत ने कोविड-19 के अंधकार में दुनिया को आशा दी, उसी तरह अब इन मासूम बच्चों को जीवन की नई किरण दी जा सकती है।”