शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सरसों का तेल करें दान, मिलेगी हर क्षेत्र में सफलता

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि शनिवार को है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा 12 अक्टूबर रात 2 बजकर 24 मिनट तक वृषभ राशि में रहेंगे। इसके बाद मिथुन राशि में गोचर करेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।

पंचमी तिथि का समय 10 अक्टूबर शाम 7 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 11 अक्टूबर शाम 4 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। शनिवार को कोई विशेष त्योहार या व्रत नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं, जो न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है।

अग्नि पुराण में जिक्र है कि शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। जब शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा चलती है, तो व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे आर्थिक संकट, नौकरी में समस्या, मान-सम्मान में कमी और परिवार में कलह। ऐसे में शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में आने वाली समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।

ये व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू किया जा सकता है। मान्यता के अनुसार, 7 शनिवार व्रत रखने से शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही शनिदेव की विशेष कृपा भी मिलती है।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं, उन्हें काले वस्त्र, काले तिल, काली उड़द की दाल और सरसों का तेल अर्पित करें और उनके सामने सरसों के तेल का दीया जलाएं। रोली, फूल आदि चढ़ाने के बाद जातक को शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। साथ ही सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए। ‘शनि स्तोत्र’ का पाठ भी करें और ‘शं शनैश्चराय नम:’ और ‘सूर्य पुत्राय नम:’ का जाप करें।

मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है। हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और छाया दान करना (सरसों के तेल का दान) बेहद शुभ माना जाता है और इससे नकारात्मकता भी दूर होती है।