श्रावण मास की द्वितीया तिथि: बन रहा त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत संयोग

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नई दिल्ली, 11 जुलाई (आईएएनएस)। श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया को शनिवार पड़ रहा है। इस दिन सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे, वहीं चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे। इस दिन त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है।

सर्वार्थ सिद्धि योग तब बनता है जब कोई विशेष नक्षत्र किसी विशेष दिन के साथ आता है, मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसका मुहूर्त 12 जुलाई की सुबह 06 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 13 जुलाई की सुबह 05 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।

वहीं, इस दिन ‘त्रिपुष्कर योग’ भी बन रहा है। यह योग तब बनता है जब रविवार, मंगलवार या शनिवार के दिन द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी में से कोई एक तिथि हो और इन 2 योगों के साथ उस दिन विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, पुनर्वसु या कृत्तिका नक्षत्र हो।

अग्नि पुराण के अनुसार, शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। वैसे तो शनिवार का व्रत कभी भी शुरू किया जा सकता है लेकिन श्रावण मास में पड़ने वाले शनिवार के दिन इस व्रत की शुरुआत करने का खास महत्व है। इसके अलावा ये व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू किया जा सकता है। मान्यताओं के मुताबिक, 7 शनिवार व्रत रखने से शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

धर्मशास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि शनिदेव को कैसे प्रसन्न करना चाहिए। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर फिर, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद शनि की प्रतिमा या शनि यंत्र रखें और शनि मंत्रों का जाप करें। फिर शनिदेव को स्नान करवाएं और उन्हें काले वस्त्र, काले तिल, सरसों का तेल अर्पित करें और सरसों के तेल का दिया जलाएं। इसके बाद शनि चालीसा और कथा का पाठ भी करें। पूजा के दौरान शनिदेव को पूरी और काले उड़द दाल की खिचड़ी का भोग लगाएं और आरती करें। मान्यता है, पीपल के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है। इसी कारण हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और छाया दान करना (सरसों के तेल का दान) बहुत शुभ माना जाता है।