श्री लक्ष्मी गणपति वारी मंदिर: चट्टान पर बनी भगवान गणेश की प्रतिमा, कान में फुसफुसाकर भक्त मांगते हैं मनोकामना

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नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। भगवान गणेश के पूरे देश में कई प्राचीन और सिद्ध मंदिर हैं। विघ्नों के अधिपति होने के कारण भगवान गणेश देवताओं में सबसे पूज्यनीय माने गए हैं।

आंध्र प्रदेश के बिक्कावोलु गांव में भगवान विनायक का ऐसा मंदिर है, जहां पूजा करने से सारे पाप धूल जाते हैं। भक्तों का मानना है कि यहां विराजित भगवान गणेश भक्तों के पापों का नाश करते हैं।

पूर्वी गोदावरी के पास बिक्कावोलु गांव में श्री लक्ष्मी गणपति वारी देवस्थान है, जहां भगवान विनायक की अद्भूत चट्टान स्वरूप प्रतिमा है। कहा जाता है कि प्रतिमा खुद मंदिर के गृभगृह में प्रकट हुई थी, जिसकी वजह से भक्तों की मान्यता इस मंदिर पर अधिक है। भगवान विनायक की प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 7 फीट है और प्रतिमा चट्टान स्वरूप है। ऐसा लगता है कि बड़ी सी चट्टान पर खुद भगवान गणेश ने अपनी आकृति उकेर दी हो।

शृंगार के बाद भगवान विनायक के दर्शन अद्भुत हो जाते हैं। भक्त अपनी किसी खास मनोकामना को पूज्यनीय भगवान गणेश के कानों में कहते हैं और भेंट स्वरूप प्रसाद चढ़ाते हैं। मन्नत पूरी होने पर भक्त को मंदिर में दोबारा आकर खास अनुष्ठान भी कराना होता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि प्रतिमा 1200 वर्ष पुरानी है और प्रतिमा का आकार भी धीरे-धीरे बढ़ता रहता है।

मंदिर का निर्माण 840 ई. में चालुक्यों ने कराया था। मंदिर की दीवारों और खंभों पर चालुक्य काल के शिलालेख और आकृतियां उकेरी गई हैं। बताया जाता है कि जब मंदिर का निर्माण हुआ था, तब प्रतिमा जमीन के अंदर थी। किंवदंती की मानें तो गांव के एक भक्त को सपने में भगवान गणेश ने दर्शन दिए थे और अपना स्थान बताते हुए मंदिर बनाने की बात कही थी।

भक्त ने ये बात गांव में बताई और सभी गांव वालों ने प्रतिमा को निकालकर मंदिर का निर्माण भी कराया। उस वक्त ये बात भी सामने आई कि भगवान गणेश की प्रतिमा जमीन से निकालने के बाद थोड़ी सी बड़ी हो गई है। तब से ये धारणा चली आई है कि प्रतिमा अपना आकार बढ़ाती हैं।

श्री लक्ष्मी गणपति वारी के पास ही भगवान शिव के नंदीश्वर और भूलिंगेश्वर मंदिर भी स्थापित हैं। माना जाता है कि भगवान विनायक के दर्शन तभी पूरे माने जाते हैं जब भक्त नंदीश्वर और भूलिंगेश्वर मंदिर के भी दर्शन कर लें।