श्री सर्वेश्वरी समूह ने जारी किया वर्ष भर के जनसेवा कार्यों का विस्तृत विवरण

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वाराणसी : 9 जुलाई/ अघोर पीठ, श्री सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम्, अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम, पड़ाव, वाराणसी में आयोजित गुरुपूर्णिमा महोत्सव की पूर्व संध्या पर हुए पत्रकार सम्मेलन के अवसर पर श्री सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी ने श्री सर्वेश्वरी समूह कि वार्षिक-पत्रिका ‘अघोरेश्वर-स्मारिका वर्ष 2025’ का पत्रकारों के समक्ष लोकार्पण किया।

इस अवसर पर पत्रकारों द्वारा वैश्विक अशान्ति, जाति-धर्म के मतभेदों और समाज के गिरते नैतिक स्तर पर पूछे गये सवालों पर कहा- आज शांति और सुरक्षा के लिए बना यू. एन. ओ. निष्क्रिय सा लग रहा है। भारत विश्व में निष्पक्ष भूमिका में है इसलिए भारत में ही पूरे विश्व के देशों को बुलाकर एक साथ बैठकर शांति का मार्ग ढूँढना होगा, नहीं तो ये लड़ाई-झगड़ा बढ़ता ही जायेगा। पूज्य बाबा ने कहा कि धर्म तो धर्म ही है, वह ना लड़ाई कराता है, न दुराव कराता है, ना झगड़ा कराता है, न मार-काट कराता है और अधर्म तो अधर्म ही है। भ्रष्टाचार और सत्ता लोलुपता के चलते ही समाज में अनेकानेक समस्याएं बढ़ रही है। गुरुजन अपने शिष्यों को जीवन जीने की शैली सिखाते हैं और उनको मोक्ष के मार्ग तक पहुचाते हैं। ध्यान-धारणा, पूजा-उपासना और चिंतन-मनन से मनुष्य गुरु द्वारा दर्शित मार्ग पर चलकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है।

श्री सर्वेश्वरी समूह का वार्षिक प्रतिवेदन – 2024-25

श्री सर्वेश्वरी समूह के मंत्री डॉ. एस. पी. सिंह ने श्री सर्वेश्वरी समूह द्वारा एक वर्ष में किए गये जनसेवा कार्यों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। विश्व की विशुद्ध सामाजिक-आध्यात्मिक संस्था ‘श्री सर्वेश्वरी समूह’ के अधिकाधिक जनसेवा कार्यक्रम पर्यावरण और चिकित्सा सेवा से संबंधित हैं। इस वर्ष 93082 से ज्यादा रोगियों का विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा परीक्षण कर उन्हें दवा दी गई। समूह द्वारा दी जाने वाली अधिकांश चिकित्सा सेवा चाहे वह महाकुष्ठ के रोगियों को भर्ती कर इलाज करना हो, सुदूर संसाधनविहीन व वनवासी क्षेत्रों में शिविर के माध्यम से हो या फिर आधुनिक चिकित्सा के लिए पहेली बनी मिर्गी चिकित्सा हो, सब आयुर्वेदिक व फकीरी औषधियों के साथ-साथ अन्य चिकित्सा पद्धतियों से की गई। कुष्ठ सेवा के लिए तो अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम का नाम ‘गिनीज़ बुक’, ‘लिमका बुक’ इत्यादि प्रतिष्ठित वैश्विक संस्थानों द्वारा दर्ज है।

आज पर्यावरणीय संकट गहराता जा रहा है और खाद्य अशुद्धि के जिम्मेदार लोग अपने कर्त्तव्य का निर्वाह नहीं कर रहे हैं। आजकल की आधुनिक जीवनशैली व मिलावटी खाद्य-पदार्थों से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव से संस्था द्वारा जनमानस को बचाने का निरंतर सार्थक प्रयास किया जा रहा है। इसी परिदृश्य मे गो-सेवा भी की जा रही है। नवीन कृषि तकनिकी से लोगों को अवगत कराना भी संस्था का महत्वपूर्ण उद्देश्य है।

इस वर्ष संस्था द्वारा किए गए 15 हजार से अधिक वृक्षारोपण का उद्देश्य है कि प्रकृति व पर्यावरण का संरक्षण हो सके और साथ ही मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति भी हो सके। इसी कड़ी में हिमालय से लाकर ब्रह्मनिष्ठालय सोगड़ा आश्रम में लगाए गए बांज वृक्षों के माध्यम से स्थानीय जैव-विविधता, जल-धारण एवं मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाने का विशेष प्रयास किया गया है।

श्री सर्वेश्वरी समूह का मूल उदेश्य है जनसेवा। यहाँ जनसेवा का अर्थ बहुत ही व्यापक है। इसीलिए इसके अन्तर्गत आने वाले सेवा कार्यों को सूचीबद्ध करना अत्यंत कठिन है या यूँ कहें कि असम्भव है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। यहाँ जनसेवा का तात्पर्य उन सभी सम्भावित कार्यों से है जिसका प्रत्यक्ष या परोक्ष सम्बन्ध मानव जगत के उत्थान से है। यह सेवा व्यक्तिगत स्तर से लेकर गाँव, समुदाय और वस्तुतः सम्पूर्ण पर्यावरण के विभिन्न घटकों के संरक्षण और संवर्धन तक की जाती है। इस वर्ष भी हजारों की संख्या में सरकारी चिकित्सालयों में ताड़ का पंखा, वृद्धाश्रमों, अस्पतालों एवं कारावासों में साड़ियाँ व अन्य वस्त्र तथा खाद्य सामग्री के पैकेट निःशुल्क बांटे गये। जाड़े में हजारों जरूरतमंदों को कंबल, रजाई, गद्दा, शॉल, स्वेटर, टोपी, स्कार्फ, मफ़लर इत्यादि बांटा गया।

महाकुंभ हो, अयोध्या की चौदहकोशी परिक्रमा हो, भाटापारा (छत्तीसगढ़) की अखंड रामनाम सप्ताह की शोभायात्रा हो या फिर राँची के जगन्नाथपुर रथ यात्रा मेला हो, सर्वेश्वरी सैनिक जल, मिष्ठान, औषधि इत्यादि के साथ जरूरतमंदों की सेवा में डटे रहे। जाड़े में अनेक स्थानों पर अलाव और गर्मी में पनशाला तथा शर्बत पिलाकर भी सेवा की गई। सर्वेश्वरी पद्धति से विवाह या अन्त्येष्टि से अनेकों गरीब और पूँजीपतियों ने मितव्ययिता और आडंबर-विहीन संस्कारों का उदाहरण प्रस्तुत किया। अंध-विद्यालयों व वनवासी बहुल विद्यालयों में लेखन-पठन तथा खेलकूद सामग्री का वितरण किया गया। राष्ट्रीयता संबंधी विषयों पर लेख प्रतियोगिता कराकर विद्यार्थियों को मेडल भी दिया गया। अनेकों गरीब परिवार के बच्चों के लिए निःशुल्क भोजन, वस्त्र, आवास व शिक्षा की व्यवस्था की गई। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र के स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर अघोर-परंपरा के चार महान संतों, अघोरेश्वर भगवान राम, बाबा गुरुपद संभव राम, अघोरचार्य बाबा कीनाराम तथा बाबा राजेश्वर राम, के नाम से स्वर्ण-पदक प्रदान किया गया। सर्वधर्म समन्वय व स्वच्छता के महान उदेश्य से मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा व गिरिजघरों में हजारों झाड़ू-पोंछा व पूजन-सामग्री वितरित की गई।

इस अवसर पर श्री सर्वेश्वरी समूह के उपाध्यक्ष डॉ. ब्रजभूषण सिंह, अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम के प्रमुख वैद्य बैकुंठनाथ पाण्डेय, संस्था की प्रबंध-समिति के सदस्य डॉ. बामदेव पाण्डेय, वरिष्ठ पत्रकार दलीप सिंह भी उपस्थित थे।