नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। जमीयत उलेमा-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के ‘जिहाद’ वाले बयान पर राजनीतिक बयानबाजी जारी है। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अफजाल अंसारी ने अपनी प्रतिक्रिया दी और ‘जिहाद’ शब्द को लेकर महमूद मदनी का खुलकर समर्थन किया है।
उन्होंने ‘जिहाद’ शब्द को लेकर मीडिया को दोष देते हुए कहा कि नफरत फैलाने के लिए ‘जिहाद’ शब्द का खूब गलत इस्तेमाल किया गया। सपा सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि ‘लव जिहाद’ और ‘थूक जिहाद’ जैसी ‘जिहाद’ की अलग-अलग परिभाषाएं बनाकर रख दीं। नफरत फैलाने के लिए ‘जिहाद’ शब्द का खूब इस्तेमाल किया गया।
इसी बीच, उन्होंने ‘जिहाद’ को संघर्ष के लिए परिभाषित किया और कहा, “जब-जब जुल्म होगा, उस अत्याचार के खिलाफ विरोध करना ही ‘जिहाद’ है।”
अफजाल अंसारी ने अपने बयान में कहा, “मौलाना मदनी के पिता और दादा, आजादी के संघर्ष के समय करीब 20 साल तक जेल में रहे। उनका ‘ब्रिटिश हुकूमत’ के खिलाफ एक ‘जिहाद’ ही था। इस तरह ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ मातृभूमि को स्वतंत्र कराने का संघर्ष था, जिसे जिहाद कहा जाता है।”
‘वंदे मातरम’ पर अफजाल अंसारी ने कहा, “मदर-ए-वतन क्या है? यह एक उर्दू शब्द है। आप हिंदी में ‘वंदे मातरम’ पसंद करते हैं। आपको इसका मतलब समझना चाहिए। हम मदर-ए-वतन का ताजीम करते हैं, लेकिन आप इसमें और जोड़कर पूछते हैं, ‘आप इसकी ‘बंदगी’ क्यों नहीं कर सकते?’ यह आपकी अपनी सोच है।”
उन्होंने कहा कि जो भी मदर-ए-वतन का सम्मान करता है और उसकी रक्षा के लिए अपना सिर कटा सकता है, उसका जज्बा अपने वतन की मोहब्बत के लिए खुद अपने आप में बेमिसाल है।
इसी बीच, सपा सांसद ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “तालिबान ने अमेरिकी जुल्म के खिलाफ लंबा ‘जिहाद’ किया और आखिरकार अमेरिकी सेना को मुल्क छोड़कर जाना पड़ा। भारत में सालों साल तक तालिबान को ‘जिहादी’ और आतंकवादी कहा जाता रहा। सरकार तालिबान को कट्टरपंथियों की हुकूमत ही मानती रही, लेकिन तालिबान के नेता दिल्ली में आए और उनका यहां स्वागत किया गया। अब न तालिबान को जिहादी माना जा रहा है और न आतंकवादी कहा जा रहा है।”
इससे पहले, महमूद मदनी ने अपने बयान में कहा था, ‘जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा।” मौलाना के इस बयान को अफरती और एक वर्ग के खिलाफ बताते हुए राजनीतिक दलों के नेताओं और अलग-अलग धर्मगुरु आपत्ति जता चुके हैं।

