आत्महत्या एक बड़ी चुनौती, इसका समाधान हम सभी को निकालना होगा – राजेन्द्र शुक्ला

0
27

भोपाल : 26 अप्रैल/ इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ प्राइवेट साइक्याट्री (आई ए पी पी) के तत्वाधान में दो दिवसीय मिड-टर्म सीएमई 2025, आरम्भ हुई जो आत्महत्या जैसी गंभीर समस्या की रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर केंद्रित है। भारत सरकार की राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति, 2022 जारी होने के उपरान्त यह पहला राष्ट्रीय स्तर का मनोरोग सम्मेलन होगा जो आत्महत्या की रोकथाम पर केन्द्रित है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन ताज लेकफ्रंट, भोपाल में किया जा रहा है ।

मिड-टर्म सी एम ई का उद्घाटन विशिष्ट अतिथि मध्यप्रदेश राज्य के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ला ने किया । उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. सलोनी सिडाना (मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्य प्रदेश) और विशेष अतिथि के तौर पर डॉ. कविता एन. सिंह, (डीन, गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल), इस अवसर पर उपस्थित थीं। इनके साथ साथ विशेष तौर पर आई ए पी पी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मृगेश वैष्णव एवं अन्य राष्ट्रीय पदाधिकारी भी उपस्थित थे।

उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण देते हुए मिड-टर्म सी एम ई की आयोजन समिति के चेयरपर्सन प्रो. डॉ. आर. एन. साहू, पूर्व विभागाध्यक्ष, मनोरोग विभाग, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल ने बताया कि आत्महत्या एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट है और प्रति वर्ष लगभग 8 लाख लोगों की आत्महत्या से असमय मृत्यु हो जाती है । हमारे प्रदेश का आत्महत्या से होने वाली मृत्यु की संख्या में देश में तीसरा स्थान है ।इससे बचाव के लिए मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर बात करना आवश्यक है साथ ही विभिन्न विभागों को इससे निपटने के लिए आगे आने की ज़रूरत पर डॉ आर एन साहू ने ज़ोर दिया।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए विशिष्ट अतिथि मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ला ने कहा कि हमारे यहाँ पहला सुख निरोगी काया कहा गया है लेकिन चार तरह के सुख में पहला स्थान मानसिक सुख भी हमारे यहाँ माना गया है । उपमुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि आत्महत्या से इतनी मौत होना एक बड़ी चुनौती है और इसका समाधान हम सभी को निकालना होगा। इसके समाधान हेतु हम मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदेश में बेहतर करने के तीव्र प्रयास कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि विषय विशेषज्ञों को सरकार से जो अपेक्षाएं हैं उन्हें पूरा करने के हर संभव प्रयास शासन द्वारा किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि सन 2047 तक हम स्वास्थ्य की सेवाओं को सर्वोत्तम बनाने के प्रयास में लगे हैं । मानसिक समस्याओं का चुनौतियों का सामना करने हेतु हम धर्म और आध्यात्म के रास्तों की मदद लेने का भी प्रयास कर रहे हैं । उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मन का स्वास्थ्य रहना बहुत ज़रूरी है क्योंकि मन स्वस्थ रहेगा तो हम बेहतर विकास कर पायेंगे ।

कार्यक्रम की विशेष अतिथि गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ कविता एन सिंह ने कहा कि गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय में पिछले एक वर्ष में ध्यान और प्रार्थना को चिकित्सा विद्यार्थियों में तनाव कम करने के लिए उपयोग करने की सलाह दी जा रही है जिसके बेहतर परिणाम नज़र आ रहे हैं । इस प्रकार परामर्श और परेंटल काउंसलिंग के द्वारा हम आत्महत्या की संभावनाओं को काफी कम कर सकते हैं और उनकी अकादमिक क्षमताओं को अच्छा कर सकते हैं । डॉ कविता सिंह ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र द्वारा मानसिक स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग हेतु निर्मित “मनहित (mannhit)” एप के महत्त्व को रेखांकित किया ।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. सलोनी सिडाना (मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्य प्रदेश)ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आत्महत्या के पीछे कई सामजिक कारण भी ज़िम्मेदार होते हैं उन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मप्र द्वारा प्रत्येक ज़िले में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कराने हेतु “मनकक्ष” आरम्भ किये हैं। राष्ट्रीय टेली-मानस कार्यक्रम के अंतर्गत विगत वर्ष में 3 लाख से अधिक लोगों ने मुफ्त टेली काउंसलिंग के लिए टेली मानस (14416) पर कॉल किया है । डॉ सलोनी सिडाना ने मिशन द्वारा मातृत्व मानसिक स्वास्थ्य और किशोरवस्था में मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के क्षेत्र में उठाये जा रहे क़दमों का भी ज़िक्र किया ।

उद्घाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम आयोजन समिति की सेक्रेटरी डॉ समीक्षा साहू (असिस्टेंट प्रोफेसर मानसिक रोग विभाग गाँधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल ने किया । इस सम्मेलन में देशभर से आए हुए 45 से अधिक प्रतिष्ठित वक्ता अपने विचार साझा कर रहे हैं, और अमेरिका से दो अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ वर्चुअली सम्मिलित हैं जो आत्महत्या और मानसिक रोग के विभिन्न पर चर्चा कर रहे हैं साथ ही साथ सम्बंधित विषयों पर कई पेपर्स और पोस्टर्स का प्रस्तुतीकरण भी इस सी एम ई में किया जा रहा है । सत्रों में आत्महत्या के पीछे ज़िम्मेदार कारकों और उपचार के क्षेत्र में हो रहीं नई वैज्ञानिक खोजों, छात्रों में होने वाली आत्महत्या, ट्रॉमा सर्वाइवर्स, बुजुर्गों और LGBTQ+ समुदाय जैसे विभिन्न वर्गों में आत्महत्या रोकथाम पर शोध और विशेषज्ञ चर्चाएं की जा रही हैं।

आज इस आई ए पी पी की मिड-टर्म सी एम ई के आयोजन के पूर्व गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल के तत्वाधान में आत्महत्या की रोकथाम पर जागरूकता हेतु चिकित्सकों और चिकित्सा विद्यार्थियों द्वारा वाकाथॉन का आयोजन किया गया। उक्त आयोजन भी आज से दो दिवस के लिए इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ प्राइवेट सायक्याट्री की मिड टर्म सी एम ई के अन्तर्गत किया गया। प्रातः 07 बजे से इस वाकाथॉन को गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ कविता सिंह के विशेष प्रयासों से आयोजित किया गया। डॉ कविता सिंह ने बताया कि मेडिकल स्टूडेंट्स में आत्महत्या की समस्या पर जागरूकता हेतु इस वाकाथॉन को आयोजित किया गया था ।

इस वाकाथॉन को डॉ कविता सिंह के साथ साथ इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ प्राइवेट सायक्याट्री के अन्तर्गत होटल ताज में आयोजित मिड टर्म सी एम ई की आयोजन समिति के चेयरपर्सन डॉ आर एन साहू सेक्रेटरी डॉ समीक्षा साहू गाँधी मेडिकल कॉलेज में मानसिक रोग विभाग के प्रमुख डॉ जे पी अग्रवाल सहित 300 से अधिक चिकित्सक और चिकित्सा विद्यार्थियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी रही जिसमें डॉ. मुकुल और डॉ. संदीप जैसे उत्साही छात्र नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

उल्लेखनीय है यह राष्ट्रीय सम्मेलन आत्महत्या रोकथाम के महत्व को उजागर करने, कलंक को समाप्त करने और सभी के लिए समावेशी मानसिक स्वास्थ्य रणनीतियों को बढ़ावा देने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।