नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें मतदाता सूची में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को चुनाव आयोग जाने की सलाह दी।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की तरफ से बेंगलुरु में ‘वोट चोरी’ जैसे आरोप लगाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाने के साथ मतदाता सूची में कथित हेरफेर के आरोपों की जांच कराने की मांग की।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ सोमवार को मामले को सुनने के लिए बैठी, लेकिन थोड़ी देर में इस बेंच ने याचिका को सुनने से इनकार कर दिया।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि मतदाता सूची में अनियमितताओं के संबंध में चुनाव आयोग को पहले ही एक ज्ञापन दिया जा चुका है, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई या प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने जनहित में दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता कानून के तहत उपलब्ध उपायों का सहारा ले सकता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को चुनाव आयोग जाने की सलाह दी है।
याचिका में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक अधिकारों का हवाला दिया गया था। याचिका में कहा गया कि बेंगलुरु सेंट्रल संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं, जो संविधान के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन हैं।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि एक ही मतदाता के नाम कई निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज पाए गए, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पवित्रता को खतरे में डालता है।
याचिका में कहा गया कि संविधान की पवित्रता को बनाए रखने और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का तत्काल हस्तक्षेप जरूरी है।
याचिकाकर्ता ने मांग की कि इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया जाए, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करें।
राहुल गांधी ने अगस्त में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बेंगलुरु सेंट्रल की महादेवपुरा विधानसभा सीट पर मतदाता सूची में हेरफेर के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि इस सीट पर डुप्लीकेट मतदाता, फर्जी पते, और फॉर्म-6 का दुरुपयोग जैसी कई तरह की अनियमितताएं हुईं, जिसके परिणामस्वरूप 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।