तमिलनाडू: भव्य है मीनाक्षी देवी मंदिर​, अनोखे रूप के साथ दर्शन देती हैं मां पार्वती

0
7

नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। देशभर में चमत्कारी मंदिरों की कमी नहीं है। भारत के हर कोने में देवियों के सिद्ध पीठ और शक्तिपीठ मंदिर स्थित हैं। तमिलनाडु के मदुरई नगर में स्थित एक ऐतिहासिक मंदिर है जहां मां पार्वती अनोखे रूप में विराजमान हैं।

दीपावली के समय मंदिर को फूलों और लाइटों से सजाया जाता है और मां पार्वती को हीरे का मुकुट पहनाया जाता है।

यह मीनाक्षी देवी मंदिर पूरे विश्व के आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर को 7 अजूबों की लिस्ट में भी शामिल किया गया था। मंदिर में मां पार्वती मीनाक्षी देवी के रूप में पूजी जाती हैं। इस मंदिर की रहस्यमय चीज है मां की प्रतिमा, जिसपर सामान्य दो नहीं बल्कि तीन वक्षस्थल हैं। मां की अनोखी प्रतिमा को देखने के लिए देश-विदेश से भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। ये मंदिर संतान पाने के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि मां मीनाक्षी को भी उनके माता-पिता ने कठोर तपस्या के बाद प्राप्त किया था।

2500 साल पुराने मंदिर को लेकर कई पौराणिक कथा हैं। माना जाता है कि मदुरै के राजा मलयध्वज पांड्या और उनकी पत्नी की कोई संतान नहीं थी, संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने भगवान शिव को याद करते हुए कठोर तप किया, जिसके बाद उन्हें पुत्री के रूप में मीनाक्षी हुई। मीनाक्षी बिल्कुल भी सामान्य नहीं थीं, वे अपनी उम्र से काफी बड़ी थी और उनके तीन वक्षस्थल थे। उनके पिता मलयध्वज पांड्या को चिंता होने लगी कि उनकी बेटी से विवाह कौन करेगा, लेकिन खुद भगवान शिव ने उन्हें सपने में बताया कि मीनाक्षी का वक्षस्थल उसके जीवनसाथी के मिलने के बाद गायब हो जाएगा। मीनाक्षी को जीवनसाथी के रूप में सुंदरेश्वर देव प्राप्त हुए, जो स्वयं भगवान शिव थे। दोनों का विवाह हुआ और माना जाता है कि इसी मंदिर में सुंदरेश्वर देव और मीनाक्षी का कन्यादान भी हुआ।

मंदिर में मां मीनाक्षी के साथ सुंदरेश्वर देव भी मौजूद हैं। मंदिर में एक गर्भगृह भी है। माना जाता है कि रात के समय मंदिर के कपाट बंद होने के बाद मां मीनाक्षी और सुंदरेश्वर देव वहां विचरण करते हैं। उस वक्त मंदिर में कोई नहीं जाता है। मीनाक्षी देवी मंदिर में भगवान गणेश और भगवान विष्णु की मूर्ति भी है। भगवान विष्णु की पूजा मां मीनाक्षी के भाई की तरह की जाती है। भगवान विष्णु ने हमेशा हर अवतार में मां पार्वती का कन्यादान किया है। शिव-पार्वती विवाह में भी भगवान विष्णु ने भाई का कर्तव्य निभाते हुए कन्यादान किया था। इसके अलावा मंदिर में भव्य गोपुरम और ‘1000 स्तंभों का मंडप’ भी है।