तेजस्वी के ‘जमाई आयोग’ के आरोप पर मृणाल पासवान का पलटवार, बोले – ‘ऐसे सवाल का कोई औचित्य नहीं’

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पटना, 22 जून (आईएएनएस)। बिहार में आयोगों के गठन के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव प्रदेश सरकार को घेरने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा है कि बिहार में ‘जमाई आयोग’ का गठन कर देना चाहिए। उनके इस बयान के बाद राज्य की सियासत में ‘दामाद पॉलिटिक्स’ शुरू हो गई है।

तेजस्वी यादव के बयान पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के जीजा मृणाल पासवान ने कहा कि इस तरह की बातें करना गलत है। कोई व्यक्ति आईएएस, आईपीएस या डायरेक्ट बनता है या कोई सर्विस करता है, वह किसी का दामाद, जीजा, भाई या भतीजा हो सकता है। ऐसे में इस तरह के सवाल उठाने का क्या मतलब है। अगर बिहार सरकार ने मुझे यह जिम्मेदारी दी है तो कुछ क्वालिटी देख कर दी होगा। मैं भी राजनीतिक परिवार से आता हूं। सन् 1957 में मेरी मौसी एमएलए बनी थीं। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मेरे परिवार में लोग विधायक और मंत्री रह चुके हैं।

उन्होंने कहा कि वह पद्म श्री स्व. रामविलास पासवान के दामाद हैं। तेजस्वी यादव की ओर से इस तरह से सवाल उठाना उचित नहीं है। सायन कुणाल से लेकर अरुण भारती का परिवार राजनीति और सामाजिक कामों से जुड़ा रहा है। उन्होंने कहा, “जहां तक मेरा सवाल है, मैंने सर्विस में रहते हुए जनता का सेवा की है। हम स्वर्गीय रामविलास पासवान के परिवार से हैं। हमने जनता के बीच काम किया है।”

चिराग पासवान को मुख्यमंत्री बनाने की मांग को लेकर मृणाल पासवान ने कहा कि वह एक उभरते नेता हैं और हर जाति, हर नेता उन्हें मुख्यमंत्री बनना चाहता है। लोजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं की इच्छा है कि चिराग पासवान बिहार के सीएम बने। उनके अंदर क्षमता है, उन्हें बोलना आता है, वह संस्कारी आदमी हैं। ऐसे में बिहार की जनता को और क्या चाहिए। उनसे अच्छा नेता बिहार की जनता को नहीं मिलेगा। अब वह जनता की स्वाभाविक पसंद बन गए हैं। तमाम सर्वे में चिराग पासवान एक उभरते हुए विकल्प के तौर पर सामने आ रहे हैं। जहां चिराग पासवान खड़े हो जाते हैं, वहां लंबी कतार लग जाती है। हर जाति-बिरादरी के लोग उनके साथ जुड़ जाते हैं। फिलहाल सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में तमाम विकास कार्य हो रहे हैं।

तेजस्वी यादव और चिराग पासवान के एक होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति में कोई दोस्त और दुश्मन नहीं होता है। हमें भी वह दिन याद है जब लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान एक-दूसरे के विरोधी थे, लेकिन वे भी एक हो गए। राजनीति में जमीन जायदाद का झगड़ा नहीं है, यह पॉलिटिक्स का झगड़ा है। यह कुर्सी के लिए है। जनता तय करती है कि किसे मुख्यमंत्री और किसे प्रधानमंत्री बनाना है।