नागपुर, 6 जुलाई (आईएएनएस)। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की ‘विजय उत्सव रैली’ सुर्खियों में है। 5 जुलाई को ठाकरे बंधुओं की एक बड़ी सभा वर्ली में आयोजित की गई, जिसमें कांग्रेस का कोई भी नेता शामिल नहीं हुआ। इसे लेकर सवाल उठे तो कांग्रेस की ओर से जवाब आया कि ‘न जाने की कोई खास वजह नहीं थी, बल्कि हम लोग पहले से व्यस्त थे।’
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा, “यह दो भाइयों का मिलन समारोह था, और उन्होंने मराठी अस्मिता को लेकर कार्यक्रम रखा था। इसमें हम न गए, तो भाजपा को क्यों चिंता हो रही है? हमारी शिवसेना (उद्धव गुट) के साथ महा विकास आघाड़ी में गठबंधन पहले जैसा ही मजबूत है। जब जरूरत होगी, हम साथ आएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि वे भाषा विरोध नहीं बल्कि ‘भाषा के थोपे जाने’ के विरोध में हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि हिंदी हम सब पढ़ते हैं, लेकिन पहली कक्षा से क्यों पढ़ाई जाए, जब महाराष्ट्र में मराठी ही प्राथमिक भाषा है? राज ठाकरे ने अपने भाषण में कहा था कि “हिंदी बोलने वाले राज्य पिछड़े हुए हैं।” इस पर कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने भाषण सुना और कई बातों से सहमत हैं।
उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र देश की आर्थिक राजधानी है। यहां की संस्कृति, उद्योग, और विकास में मराठी लोगों का बड़ा योगदान है। महाराष्ट्र की पहचान उसकी मेहनत, प्रगति और आत्मसम्मान से बनी है।” उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से शुरू किए गए ‘महाराष्ट्र धर्म’ पॉडकास्ट पर कांग्रेस ने भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि “अगर यह पॉडकास्ट छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों को बढ़ावा देगा, तो हम उसका स्वागत करते हैं।”
बता दें, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को कई साल बाद एक मंच साझा किया। शिवसेना (यूबीटी) की प्रवक्ता किशोरी पेडनेकर ने इसे खुशी का दिन बताया। महाराष्ट्र सरकार के थ्री लैंग्वेज पॉलिसी के वापस लिए जाने के बाद, ठाकरे बंधुओं ने 5 जुलाई को ‘विजय उत्सव’ का आयोजन किया था। इसमें ठाकरे बंधु 20 साल बाद एक मंच पर दिखे थे। गठबंधन के अन्य साथी भी इसमें मौजूद थे लेकिन कांग्रेस की ओर से कोई नहीं पहुंचा था जिसे लेकर कई तरह के सवाल उठाए जाने लगे हैं।