नई दिल्ली, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। ‘ट्रैम्पोलिन’ एक ऐसा जिम्नास्टिक खेल है, जिसमें खिलाड़ी फ्लेक्सिबल नेट पर उछलते हुए हवा में कलाबाजियां और संतुलन वाले करतब करते हैं। ऊंचाई, तकनीक, नियंत्रण और सुरक्षित लैंडिंग के महत्व वाले इस खेल ने ओलंपिक में भी अपनी पहचान बनाई है।
आधुनिक ट्रैम्पोलिन का इजाद जॉर्ज निसेन और लैरी ग्रिसवॉल्ड ने साल 1934 में किया था, जो सर्कस के कलाकारों के सुरक्षा जाल से प्रेरित थे। उन्होंने जब सर्कस के कलाकारों को इन जालियों पर फ्लिप और दूसरे एक्रोबेटिक स्टंट करते देखा, तो इसके आधुनिक स्वरूप को तैयार करने पर विचार किया। दोनों ने स्क्रैप मेटल और कैनवास से पहला नमूना बनाया, जिसे ‘ट्रैम्पोलिन’ नाम दिया गया।
जॉर्ज निसेन और लैरी ग्रिसवॉल्ड ने जिस ट्रैम्पोलिन को बनाया, सबसे पहले उसका इस्तेमाल अंतरिक्ष यात्री और टंबलर्स ने किया।
फ्रांसीसी पायलट्स ने वेस्टिबुलर सिस्टम को ट्रेन करने के लिए ट्रैम्पोलिन का इस्तेमाल करना शुरू किया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद, ट्रैम्पोलिन अमेरिका तक पहुंचा। अमेरिकियों ने एस्ट्रोनॉट्स को ट्रेन करने के लिए इसका इस्तेमाल किया।
40 के दशक में इसने एक खेल के रूप में अपनी पहचान बनाई। 1948 में पहली अमेरिका नेशनल चैंपियनशिप का आयोजन हुआ। साल 1957 में यूरोप में इसका हेडक्वार्टर बना। साल 1958 में इंग्लैंड ने पहली नेशनल चैंपियनशिप का आयोजन किया। पहली वर्ल्ड चैंपियनशिप 1964 में हुई। इसी साल अंतरराष्ट्रीय जिम्नास्टिक महासंघ की स्थापना हुई।
2000 सिडनी ओलंपिक में पहली बार इस खेल को आधिकारिक तौर पर ओलंपिक में शामिल किया गया, जिसमें पुरुषों के साथ महिला एथलीट्स ने भी हिस्सा लिया।
ट्रैम्पोलिन में जिमनास्ट ‘फॉरवर्ड’ और ‘बैकवर्ड’ फ्लिप करते हैं। इसमें ‘ट्रिफस’ और ‘मिलर’ को भी जोड़ा जा सकता है। ट्रिफस में एक हाफ ट्विस्ट के साथ ट्रिपल फ्रंट समरसॉल्ट होता है, जबकि मिलर में तीन ट्विस्ट के साथ डबल बैक फ्लिप शामिल होता है।
ओलंपिक में इस खेल में स्कोर के लिए 4 मुख्य श्रेणियां होती हैं। इसमें एग्जीक्यूशन, डिफिकल्टी, हॉरिजॉन्टल डिस्प्लेसमेंट और टाइम टू फ्लाइट शामिल हैं।
ओलंपिक में ट्रैम्पोलिन का आकार 5.05 मीटर लंबा और 2.91 मीटर चौड़ा होता है। इसकी ऊंचाई करीब 1.155 मीटर होती है। ट्रैम्पोलिन का बेड सिंथेटिक से निर्मित होता है, जिसमें इतनी लचक होती है कि एथलीट्स 8 मीटर तक हवा में उछल सकते हैं।
फ्रेम के चारों ओर सुरक्षा मैट लगे होते हैं। इसके साथ ही फर्श पर भी 2 मीटर चौड़े सुरक्षा मैट होते हैं। पूरे हॉल की ऊंचाई 8-10 मीटर होती है।
भारत ट्रैम्पोलिन जिम्नास्टिक में फिलहाल शुरुआती दौर में है। बेहतरीन ट्रेनिंग और कोचिंग से भविष्य में भारतीय जिमनास्ट इस खेल में पदक अपने नाम कर सकते हैं। इसके लिए खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर की जरूरत होगी।

