त्रिपुष्कर योग में करें दान-पुण्य, मिलेगी स्थायी समृद्धि!

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नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस)। आषाढ़ माह की शुक्ल सप्तमी तिथि को मंगलवार पड़ रहा है। इस दिन सूर्य मिथुन में और चंद्र देव सिंह राशि से कन्या राशि में जाएंगे। इस दिन, त्रिपुष्कर और रवि योग बन रहा है।

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि (सुबह 10 बजकर 20 मिनट) 30 जून को पड़ रही है। दृक पंचांगानुसार, 1 जुलाई को षष्ठी तिथि सुबह 10 बजकर 20 मिनट तक रहेगी, फिर उसके बाद सप्तमी तिथि शुरू हो जाएगी। मंगलवार के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है। मान्यता है कि इस दिन किए गए कार्यों से इंसान को सफलता प्राप्त होती है।

बता दें, विष्कंभ फलित ज्योतिष के अनुसार सत्ताईस योगों में से पहला योग है। ‘त्रिपुष्कर योग’ तब बनता है जब रविवार, मंगलवार व शनिवार के दिन द्वितीया, सप्तमी व द्वादशी में से कोई तिथि हो एवं इन 2 योगों के साथ उस दिन विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, पुनर्वसु व कृत्तिका नक्षत्र हो। इसके साथ ही रवि योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से 4, 6, 9, 10, 13 और 20वें स्थान पर हो।

त्रिपुष्कर योग को अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है, क्योंकि इसमें किए गए कार्य तीन गुना वृद्धि के साथ सफल होते हैं। यह योग विशेष रूप से व्यापार, संपत्ति क्रय, विवाह, शिक्षा, वाहन खरीद या नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत उत्तम होता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य आरंभ करने से उसका प्रभाव स्थायी, त्रिगुणित और दीर्घकालिक होता है।

त्रिपुष्कर योग में सफलता पाने के लिए इस दिन आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें और आसन बिछाएं, फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु या अपने इष्टदेव का पूजन करें, फिर संकल्प लेकर भगवान के वस्त्र, इत्र, फूल, आभूषण, दीप-धूप और नैवेद्य अर्पित करें, इसके बाद भगवान की आरती करें, फिर आरती का आचमन कर आसन को प्रणाम कर प्रसाद ग्रहण करें। यदि संभव हो तो दान-पुण्य भी करें, जिससे कार्य में स्थिरता और समृद्धि बनी रहे।

रवि योग सूर्य और चंद्रमा के विशिष्ट संयोग से बनता है और इसे विघ्नों का नाश करने वाला योग माना गया है। इसमें शुरू किए गए काम पूरे होते हैं। यह योग विशेष रूप से शिक्षा, परीक्षा, सर्जरी, नया व्यवसाय शुरू करने और यात्रा के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन प्रातः सूर्य को तांबे के लोटे से जल में लाल फूल डालकर अर्घ्य दें और “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें। सूर्यनारायण के समक्ष गेहूं, गुड़ और लाल चंदन अर्पित करें और ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान दें—यह उपाय रोग, कर्ज और प्रतिष्ठा संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।