विश्व रक्तदान दिवस : मानवता का सबसे बड़ा दिन, बेहद रोचक इतिहास

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नई दिल्ली, 13 जून (आईएएनएस)। विश्व रक्तदान दिवस हर वर्ष 14 जून को मनाया जाता है, इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने घोषित किया है। यह दिन उन सभी रक्तदाताओं के सम्मान में समर्पित होता है, जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की जान बचाने के लिए रक्तदान करते हैं।

डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट के अनुसार, पहली बार साल 2004 में विश्व रक्तदान दिवस मनाने की पहल की गई थी। डब्ल्यूएचओ के साथ इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लड डोनर ऑर्गनाइजेशन और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन ने मिलकर 14 जून को रक्तदाता दिवस मनाया था।

14 जून को डॉ. कार्ल लैंडस्टीनर का जन्मदिन होता है और ऐसा कहते हैं कि यह दिन डॉ. कार्ल को समर्पित है, क्योंकि उन्होंने ही ब्लड ग्रुप सिस्टम (ए, बी, एबी, ओ) की खोज की थी, जो रक्तदान और एक से दूसरे व्यक्ति में रक्त चढ़ाने के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है। उनके इस योगदान के लिए 1930 में कार्ल लैंडस्टीनर को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस साल इसकी थीम ‘रक्त दें, उम्मीद दें, साथ मिलकर जीवन बचाएं’ है। इस साल की थीम इस बात पर जोर देती है कि कैसे आपका एक कदम किसी के जीवन पर प्रभाव डाल सकता है। हर दान उन मरीजों के लिए आशा लेकर आता है जो जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे हैं, सर्जरी करवा रहे हैं या रोगों से लड़ रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि विश्व स्तर पर सालाना लगभग 118.54 मिलियन (लगभग 11 करोड़ 85 लाख) रक्तदान किए जाते हैं। लगभग 13,300 रक्त केंद्र कुल 169 देशों में 106 मिलियन (10 करोड़ 60 लाख) रक्तदान एकत्र करने की रिपोर्ट करते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रक्तदान का 40 प्रतिशत उच्च आय वाले देशों में एकत्र किया जाता है, जहां दुनिया की केवल 16% आबादी रहती है, जो रक्त पहुंच में असमानताओं को उजागर करता है।

पीआईबी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सेना ने 24 दिसंबर 2022 को दक्षिणी राज्यों में एक विशाल रक्तदान अभियान चलाया, जिसका उद्देश्य 75वें सेना दिवस के उपलक्ष्य में रक्तदान के महत्व को बढ़ावा देना था। यह अभियान महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित 10 राज्यों में आयोजित किया गया था।